DESK: एक तरफ 1995 का बिहार विधानसभा चुनाव और लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री तो दूसरी तरफ मसीहाई मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन जो बिहार में बेदाग चुनाव संपन्न कराकर महिमामंडित होने के लिए चट्टान की तरह दृढ़ संकल्पित थे। उस बिहार में जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का कब्रगाह था। शेषन ने पूरे राज्य को अर्धसैनिक बलों की सहायता से अवरुद्ध कर दिया था ।चार बार चुनाव स्थगित कर दिए गए थे वह प्रतिदिन धमकी देते कि जरा सी भी आपराधिक गतिविधि का पता चला तो पूरी की पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द कर देंगे। यहीं से शुरू हुआ लालू और शेषन के बीच द्वंद युद्ध।
बिहार विधानसभा चुनाव का चौथा स्थगन आदेश और लालू स्टाइल
विधानसभा चुनाव के लगातार आ रहे स्थगन आदेश से लालू परेशान थे। विपक्ष की चिंता कम मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन का अख्खड़ स्वभाव और व्यवहार वाली चिंता खाये जा रही थी। लेकिन लालू तो ठहरे लालू,भला वे किसी से क्यों डरें। शेषन से चल रहे द्वंद युद्ध के बीच लालू अपने दैनिक दरबार में ऊंचे स्वर में शिकायत करते और ऐसी रंगीन धमकियां जारी करते जो उनके दर्शकों को मांग से भर देतीं,"शेषन पगला साँड़ जैसे कर रहा है, मालूमे नहीं है कि हम रस्सा बांध के खटाल में बन्द कर सकते हैं"......
जसराज सेशन ने अपना चौथा स्थगन आदेश दिल्ली से मुख्यमंत्री कार्यालय से किया लालू यादव खुद भी कुछ हद तक एक भड़के हुए सांड की तरह हो गए थे। उन्होंने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरजेएम पिल्लई को फोन लगाया जो एक ठेठ नौकरशाह थे और उन पर ऐसे बरसे जैसे सिर्फ लालू यादव ही बरस सकते थे, ए जी पिल्लई, हम तुमरा चीफ मिनिस्टर हैं और तुम हमरा अफसर, ई शेषनवा कहां से बीच में टपकता रहता है?" इससे पहले कि पिल्लई दूसरी ओर से हकलाते हुए कुछ कहते मुख्यमंत्री ने धमाकों का दूसरा दौर शुरू कर दिया, "*अउर फैक्स मैसेज भेजता है! ई अमीर लोगों का खिलौना लेकर तुम लोग गरीब लोग के खिलाफ कांस्पिरेसी करते हो, सब फैक्स फुक्स उड़ा देंगे,इलेक्शन हो जाने दो।"साभार - बंधू बिहारी
मुख्य चुनाव आयुक्त टी इन शेषन के निर्देशन में बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ और लालू यादव बेलगाम विजेता बनकर उभरे..........क्रमशः...........
अगले अंक में.........