Desk : बिहार विधानसभा चुनाव सीटों के तालमेल को लेकर पहले से ही महागठबंधन में घमासान जारी है।अब एक नया पेच वाम दलों को लेकर फंस गया है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार एक ओर जहां कांग्रेस दलों को साथ लेने की पुरजोर पैरवी कर रही है तो वहीं महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक राजद इसमें हिचकिचाहट दिखा रहा है।
बता दें वाम दलों के नेताओं के साथ राजद की कई बार बैठक हो चुकी है, लेकिन सीटों को लेकर दोनों के बीच बात नहीं बन पाई है। भाकपा-माले, भाकपा एवं माकपा जितनी सीटों की मांग कर रहे है राजद उन्हें देने को तैयार नहीं है।
सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन के घटक दलों के साथ बातचीत की प्रकिया में शामिल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो जीतन राम मांझी के अलग होने और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा के भी अलग राह पकड़ने के अंदेशे को देखते हुए कांग्रेस वाम दलों को विपक्षी गठबंधन में शामिल करने के पक्ष में है।
कांग्रेस नेता का कहना हैकि छोटे दलों के साथ सीटों पर फैसला नहीं होने के कारण सीट बंटवारे को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। कांग्रेस चाहती हैं कि वाम दलों को भी साथ लिया जाए क्योंकि बिहार के कुछ इलाकों में उनका भी आधार है और वे वैचारिक रूप से भाजपा विरोधी हैं।
बता दें 2015 के विधानसभा चुनाव में भाकपा-माले 98 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे तीन सीटों पर जीत मिली थी। जबकि 91 और 38 सीटों पर चुनाव लड़नेवाली भाकपा और माकपा का खाता भी नहीं खुल पाया था।