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बिहार में अभी भी नहीं बदला गणित! सदन में अब भी बीजेपी 'किंग मेकर', बैकफुट पर राजद

बिहार में अभी भी नहीं बदला गणित! सदन में अब भी बीजेपी 'किंग मेकर', बैकफुट पर राजद

पटना: लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद अब बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ केंद्र  में  सरकार बनाया. बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर भी तैयारी शुरू हो गई है. बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने 2025 का राज्य विधानसभा चुनाव अपनी सहयोगी पार्टी जद(यू) के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने के संकेत दिए हैं. बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार में अपने हिस्से की सभी 17 सीटें जीत ली थीं तो 2020 के विधानसभा चुनाव में 78 सीटें जीती थीं. भाजपा के सहयोगी दल जेडीयू को लोकसभा चुनाव में 16 सीटों के साथ बिहार में दूसरी बड़ी पार्टी का तो रुतबा मिल गया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसे 43 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. 

 विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने 75 सीटें तो जीत ली थीं, लेकिन साल भर पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में उसके खाता खाली रह गया था. भाजपा और उसके सहयोगी दल जेडीयू की सीटें इस बार (2024) के लोकसभा चुनाव में पहले के मुकाबले घट गई हैं। दोनों को महज 24 मिली हैं, जबकि पिछली बार दोनों ने 33 सीटें जीती थीं. इसके बावजूद बिहार के विधायी सदनों में भाजपा पहले की तरह ही ताकतवर बनी हुई है. 

बिहार विधानमंडल के पांच सदस्य इस बार प्रमोट हो गए हैं. चार विधानसभा के और एक विधान परिषद के सदस्य हैं. आरजेडी के तीन विधायक इस बार लोकसभा पहुंचे हैं. आरजेडी विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव जहानाबाद से चुन कर लोकसभा पहुंचे हैं तो सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद बने हैं.  महागठबंधन में शामिल सीपीआई (एमएल) के सुदामा प्रसाद आरा से निर्वाचित हुए हैं.  एनडीए में शामिल 'हम' के संरक्षण पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी गया से जीते हैं.  विधान परिषद के सदस्य देवेश चंद्र ठाकुर जेडीयू के टिकट पर सीतामढ़ी चुन कर संसद पहुंचे हैं.

विधानमंडल के पांच सदस्यों के सांसद बन जाने से विधानसभा और विधान परिषद के आंकड़े बदल गए हैं.  सांसद बनने पर विधान मंडल के सदनों से इस्तीफा दे चुके सदस्यों को छोड़ दें तो विधानसभा और विधान परिषद में भाजपा इस वक्त सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। विधानसभा में भाजपा के अब 78 सदस्य हो गए हैं. दूसरे नंबर पर आरजेडी है, जिसके सदस्यों की संख्या 77 है. आरजेडी के सदस्यों में वे भी शामिल हं, जिन्होंने फरवरी 2024 में विश्वासमत के दौरान पाला बदल लिया था. जेडीयू ने चुनाव बाद एक-एक कर सदस्यों को जोड़ा है, जिससे उसके सदस्यों की संख्या अब 44 हो गई है.

विधानसभा में भाजपा के 78, आरजेडी के 77, जेडीयू के 44, कांग्रेस के 19, सीपीआई (एमएल) के 11, हम (से) के 3, सीपीआई के 2, सीपीएम के 2, एआईएमआईएम के 1 और 1 निर्दलीय सदस्य हैं। विधानसभा की चार सीटें खाली हो गई है, जिनमें सुरेंद्र यादव, सुधाकर सिंह, सुदामा प्रसाद और जीतन राम मांझी ने सांसद बनने के बाद विधायकी से त्यापत्र दे दिया है. विधान परिषद से देवेश चंद्र ठाकुर ने भी सांसद बनने पर इस्तीफा दे दिया है. विधान परिषद की बत करें तो भाजपा 24 सदस्यों के साथ पहले नंबर की पार्टी है तो दूसरे नंबर पर 21 सदस्यों के साथ जेडीयू है. आरजेडी के 15 सदस्य हैं। इसके इलावा कांग्रेस के 3, सीपीआई (एमएल), सीपीआई, हम (से) और आरजेएलपी के एक-एक सदस्य हैं. छह निर्दलीय सदस्य हैं तो दो सीटें खाली हो गई हैं.

भाजपा इसलिए भी बिहार में व्यावहारिक तौर पर सबसे ताकतवर दिखती क्योंकि विधानसभा और विधान परिषद के अध्यक्ष-सभापति भाजपा कोटे के ही हैं.  विधानसभा में भाजपा सदस्य नंद किशोर यादव ने अध्यक्ष की कुर्सी संभाली है तो विधान परिषद में भाजपा के ही अवधेश नारायण सिंह कार्यकारी सभापति का दायित्व संभाल रहे हैं. 

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