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जातीय गणना रिपोर्ट सदन में पेश करेगी नीतीश सरकार, आर्थिक सर्वे के रिकॉर्ड से भी उठेगा पर्दा

जातीय गणना रिपोर्ट सदन में पेश करेगी नीतीश सरकार, आर्थिक सर्वे के रिकॉर्ड से भी उठेगा पर्दा

बिहार की जातीय गणना रिपोर्ट 7 नवंबर यानी मंगलवार को विधानसभा के दोनों सदनों में पेश की जाएगी। ये निर्णय दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में लिया गया है. बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने लंच के बाद इस मुद्दे पर डिबेट की मांग की है. जिस पर संसदीय और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार सदन के सदस्यों की राय का संज्ञान लेगी. राज्य सरकारआज विधानमंडल के दोनों सदनों में जाति आधारित गणना की संपूर्ण रिपोर्ट पेश करेगी. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी इसे पेश करेंगे. विधानसभा में इसे दूसरी पाली में सदन के पटल पर रखा जाएगा. विधान परिषद में भी मंगलवार को रिपोर्ट पेश होगी. विजय चौधरी ने कहा कि इसमें सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े भी रहेंगे, इससे विभिन्न जातियों की अमीरी-गरीबी का पता चलेगा.रिपोर्ट से पता चलेगा कि सरकारी नौकरियों में विभिन्न जातियों की कैसी भागीदारी है.  उनकी शैक्षणिक स्थिति क्या है.

आपको बता दें जातीय गणना रिपोर्ट को लेकर बिहार में सियासत चरम पर है. बीजेपी लगातार जातीय सर्वे में धांधली और भेदभाव के आरोप लगाती आई है. रविवार को मुजफ्फरपुर की रैली में कैंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जातीय गणना रिपोर्ट को छलावा करार दिया था और कहा था कि राजद सुप्रीमो लालू यादव  के दबाव में यादवों और मुस्लिमों की आबादी बढ़ाकर दिखाई गई है, जो अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय है. शाह ने कहा कि जातीय गणना का फैसला उस वक्त का है, जब बिहार एनडीए  गठबंधन की सरकार थी लेकिन जातीय गणना में बिहार के लोगों के साथ धोखा हुआ है.

बता दें बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट 2 अक्टूबर जारी थी. जिसके मुताबिक राज्य में अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग की आबादी 63% है. इनमें पिछड़ा वर्ग 27.12 व अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01% है. वहीं अनुसूचित जाति 19.65% और अनुसूचित जनजाति 1.68% है. जबकि, अनारक्षित (हिन्दू व मुसलमान) की संख्या कुल आबादी का 15.52% है. उनमें सवर्ण (भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत व कायस्थ) 10.56% हैं. वहीं राज्य में अति पिछड़ा, यादव, दलित एवं मुस्लिम की आबादी बढ़ी है. जबकि सवर्णो में शामिल चार जातियों की आबादी घटी है. 


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