टमाटर के बाद महंगाई में प्याज, कीमतो में उछाल से बिगड़ने लगा जायका, महंगाई रोकने को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

टमाटर के बाद महंगाई में प्याज, कीमतो में उछाल से बिगड़ने लगा जायका, महंगाई रोकने को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

दिल्ली-कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. टमाटर के अप्रत्याशित करतबी दामों से बैकफुट पर आई सरकार प्याज को लेकर किसी तरह का जोखिम लेने को तैयार नहीं है. टमाटर के बाद प्याज भी न हो महंगाई से लाल न हो, इसलिए अभी से केंद्र सरकार ने कोशिशें तेज कर दी हैं.  पहले भी  प्याज के आंसुओं को झेलने के बाद जनता ने  राजनीतिक बदलाव किया इसका इतिहास रहा है.  देश के पांच महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और अगले साल आम चुनाव हैं, ऐसे में प्याज आंसू ने निकाल दे इसके लिए केंद्र सरकार ने कमर कसी है. देश में किसी वस्तु, अनाज या सब्जी के दामों में असामान्य वृद्धि को चुनाव में सरकारों को घेरने की परंपरा रही है.

जैसे ही प्याज के दाम बढ़ने लगे उपभोक्ताओं के आंसू निकलने लगे, सरकार ने रियायती दामों पर प्याज बेचना शुरू कर दिया. वहीं दूसरी ओर प्याज की महंगाई को नियंत्रित करने और उसकी उपलब्धता घरेलू बाजार में बढ़ाने के लिये प्याज पर चालीस फीसदी निर्यात शुल्क लगाने की घोषणा की. जो इस साल के अंत तक जारी रहेगी.

पिछले सप्ताह प्याज के खुदरा दामों में 37 फीसदी और थोक भाव में पचास फीसदी की वृद्धि देखी गई. जिसके बाद सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ व नेफेड के माध्यम से पच्चीस रुपये किलो के हिसाब से प्याज बेचना शुरू कर दिया है.

सवाल है कि दूर दराज के लोग ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ व नेफेड से कैसे खरीददारी कर पाएंगे. लेकिन इतना तय है कि जमाखोरों पर दबाव जरूर बढ़ जाता है कि अपना स्टॉक समय से निकाल दें. इससे मांग-आपूर्ति के संतुलन से देश में कीमतें नियंत्रित रहती हैं.

सरकार सस्ते दाम में प्याज सरकारी बफर स्टॉक से लेकर बेच रही है. बता दें कि सरकार ने आपूर्ति बाधित होने पर दाम नियंत्रण की दृष्टि से तीन लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया था, जिसमें दो लाख टन आयातित प्याज शामिल करके बफर स्टॉक अब पांच लाख टन का हो गया है.

निर्यात शुल्क बढ़ाने से मुख्य प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की मुख्य मंडी लासलगांव में व्यापारियों ने सोमवार को प्याज की नीलामी बंद कर दी थी. सरकार के फैसले से कारोबारी और किसान दोनों नाराज हैं. किसानों का कहना है कि पहले भी किसानों को सही दाम नहीं मिले, अब निर्यात बढ़ने से ठीक दाम मिलने लगे थे तो सरकार ने निर्यात कर बढ़ा दिया है,जिससे बाजार में कीमतें गिरने से किसान को नुकसान उठाना पड़ेगा. किसानों का कहना है इस निर्णय के बाद व्यापारी किसानों के प्याज घटी दरों पर खरीद रहे हैं.

 प्याज पर सतर्कता बरतना सरकार की मजबूरी भी है. इससे पहले टमाटर की आसमान छूती कीमतों, महंगे अदरक, लहसुन आदि ने उपभोक्ताओं की रसोई का बजट खराब कर दिया था, यही वजह है कि सरकार ने पहली बार प्याज पर निर्यात शुल्क बढ़ाया है. प्याज निर्यात पर लगाया गया शुल्क इस साल के 31 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा.

 इस बीच त्योहार भी शुरु हो रहे है ऐसे में सब्जियों के दामों को नियंत्रित करना भी सरकार की मजबूरी होगी.सरकार नहीं चाहती कि प्याज को लेकर भी महंगे टमाटर जैसा आक्रोश पैदा हो. प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने के सरकारी प्रयास असर दिखाने लगे हैं और प्याज के दामों में आई तेजी पर रोक लगा है.

Find Us on Facebook

Trending News