ट्रांसफर-पोस्टिंग की खुली दुकान...माफियाओं ने 'वजीर' को पाले में किया ! मनचाही पोस्टिंग के लिए जमकर लगवाई जा रही बोली, बड़े हाकिम ऐसा होने देंगे ?

DESK: जून महीने का आज अंतिम दिन है. हर साल जून महीने में सरकारी अधिकारियों-कर्मियों का ट्रांसफर-पोस्टिंग किया जाता है. जो अधिकारी एक जगह पर तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लेते हैं उन्हें स्थानांतरित कर दूसरे जगह पर पोस्टिंग की जाती है. सूबे में यह व्यवस्था लागू है कि जून महीने में वजीर स्तर से ही स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. जून खत्म होते ही गजटेड अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का यह अधिकार बड़े सरकार के पास चला जाता है. कुछ-एक विभागों में 29 जून को ट्रांसफर आदेश जारी किया गया है. लेकिन अब भी कई ऐसे विभाग हैं जहां अफसरों का ट्रांसफऱ लंबित है. एक ऐसे ही विभाग की बात कर रहे हैं जहां ट्रांसफऱ को लेकर गजब की चर्चा है. बताया जाता है कि इस बार वजीर सबसे अधिक सक्रिय हैं. यह भी चर्चा है कि वजीर की मर्जी से दलाल ट्रांसफऱ की दुकान खोल कर बैठे हैं. बड़ी बोली लगाने वालों को वजीर के 'मालिक' से मिलवाया जा रहा और महचाही पोस्टिंग की बात पक्की की जा रही. बदले में मोटा चढ़ावा लिया जा रहा. हालांकि वजीर के खास लोगों के इस कारनामे की खबर बाहर निकल कर आ गई है. कहा जा रहा है कि विभाग के बड़े हाकिम की भी पैनी नजर इस खेल पर है.
हफ्ते भर की चलती-फिरती दुकान
बताया जाता है कि यह दुकान काम की वजह से बदनाम विभाग में खोला गया है. जानकार बता रहे कि इस बार जैसी व्यवस्था हाल के सालों में इस विभाग में नहीं थी. इस बार ट्रांसफऱ-पोस्टिंग में वजीर का ज्यादा हस्तक्षेप हो गया है. इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि विभाग के ही बड़ी थैली वाले एक-दो छोटे सरकारी सेवक खास बन गए हैं. छोटे सरकारी सेवक इसलिए भी खास बन गए हैं कि वजीर ने हाल में उनपर कृपा जो बरसाई है. क्यों कि कुछ समय पहले तक वे आउट थे. एक-एक ट्रांसफर-पोस्टिंग की कीमत बताई जा रही. लक्ष्मी दिखाकर काम कराने की बड़ी कोशिश की जा रही है.
कमाऊ विभाग में अनगिनत कमाऊ पूत
अब आप कहेंगे कि आखिर वो कौन सा विभाग है ? हम आपको बताएं कि यह विभाग भले ही छोटा हो लेकिन सरकार का कमाऊ पूत है. सरकार की कमाई के साथ-साथ सरकारी सेवकों की भी खूब कमाई होती है. लिहाजा यहां काम करने वालों में कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश की थैली भारी ही रहती है. वैसे इस विभाग के दोनों हाकिम कुछ समय पहले ही आए हैं. वैसे बड़े हाकिम का इस विभाग में पहले से ही लंबे समय तक काम करने का अनुभव रहा है. लिहाजा वे विभाग के सारे दांव-पेंच से वाकिफ हैं. अब देखने वाली बात होगी कि बड़े हाकिम ट्रांसफऱ-पोस्टिंग वाली दुकान पर ताला कैसे लगवा पाते हैं ? अगर बड़े हाकिम ऐसा नहीं कर सके तो फिर दुकान खोल कर बैठे दुकानदार अपनी मंशा में कामयाब हो जायेंगे.