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पटना हाईकोर्ट ने मढ़ौरा पंचायत समिति के प्रमुख को नीतिगत और वित्तीय निर्णय लेने पर लगाया रोक, जानिए क्या है पूरा मामला

पटना हाईकोर्ट ने मढ़ौरा पंचायत समिति के प्रमुख को नीतिगत और वित्तीय निर्णय लेने पर लगाया रोक, जानिए क्या है पूरा मामला

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को मढ़ौरा पंचायत समिति के प्रमुख को नीतिगत व वित्तीय निर्णय लेने पर रोक लगा दिया है। चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया। दरअसल मढ़ौरा पंचायत समिति की प्रमुख गायत्री देवी ने पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने विरुद्ध लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए सारण के ज़िलाधिकारी को इस मामले को देखने और पंचायत समिति के प्रत्येक सदस्य से शपथ पत्र लेने का आदेश पारित किया था।

एकलपीठ द्वारा पारित आदेश को नीतू कुमारी व अन्य के द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रौशन ने बताया की धारा 44(3)(i) बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 में यह स्पष्ट अंकित है कि यदि किसी भी तरह का अविश्वास प्रस्ताव प्रमुख के विरुद्ध आता है, तो पंचायत समिति की बैठक बुला कर अविश्वास प्रस्ताव पर फ़ैसला लिया जाता है। इसमें कार्यकारी अधिकारी बीडीओ रहते है। उनके अधीन ही सारे निर्णय होते हैं। श्री रौशन ने यह भी बताया की ज़िलाधिकारी को अविश्वास प्रस्ताव में फ़ैसला लेने का अधिकार नहीं है। केवल पंचायत समिति की बैठक बुला कर ही अविश्वास प्रस्ताव पर कोई भी फ़ैसला लिया जा सकता है। 

धारा 44(3)(i) बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 में यह स्पष्ट लिखित है कि यदि पंचायत समिति के प्रमुखों/उप प्रमुखों को विशेष रूप से नियुक्त किया गया है, तो बैठक में उनके प्रति विश्वास की कमी करने वाला प्रस्ताव पंचायत समिति के प्रमुखों/उप प्रमुखों की कुल संख्या बहुमत से स्वीकृत हो गई है, तो यह माना जाएगा कि वह अपना पद तुरंत खाली कर दिया है। ऐसी विशेष बैठक की मांग पंचायत समिति के प्रांतीय निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे चयनित सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम एक घटक समूह में प्रमुखों द्वारा लिखित रूप में प्रस्तुति की जाएगी, एक प्रति पंचायत समिति के कार्यकारी अधिकारी को दिया जाएगा। कार्यकारी अधिकारी ने तत्काल प्रमुखों से ध्यान दिलाने की मांग की। प्रमुख ऐसी मांग के 15 दिन में आने वाली तारीख पर ऐसी बैठक बुलाएगा। 

यदि प्रमुख विशेष बैठक पार्टी में असफल रहती है, तो उप-प्रमुख या सीधे तौर पर प्रमुख सदस्यों की कुल संख्या का एक वैकल्पिक ऐसी बैठक की तारीख तय की जा सकती है । कार्यकारी अधिकारी को सदस्य की सूचना दी जा सकती है और ऐसी कार्रवाई करने के लिए कहा जा सकता है। बैठक बुलाना आवश्यक होगा। नामांकन पुनर्लेखन के लिए समय-समय पर नोटिस जारी कर बैठक बुलाना आवश्यक है। एक बार नोटिस जारी होने के बाद ऐसी कोई भी बैठक नहीं होगी। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए विशेष बैठक बुलाई गई, जिसके लिए कोरम की आवश्यकता नहीं होगी। उक्त मामले में आगे की सुनवाई आगामी 3 मई,2024 को की जाएगी।

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