पटना : कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टरों के प्रति संवेदना तो हर किसी के मन में है, क्योंकि डॉक्टर सबसे आगे रह कर कोरोना संक्रमितों को नया जीवन देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इनकी मेहनत भी रंग ला रही है। लगातार मिल रहे नकारात्मक खबर के बीच अच्छी खबर पटना से आयी है, जहां डॉक्टरों ने अपनी अथक मेहनत से उस मरीज को नया जीवन देने में सफलता प्राप्त की है, जिसकी जीवन की उम्मीद बहुत कम बची थी।
17 साल का यशराज था कोविड संक्रमित
दरअसल पूरा मामला ये है कि पटना के अगमकुंआ के निवासी 17 साल के यशराज को 26 अप्रैल को कोविड संक्रमित होने व सांस लेने में दिक्कत के बाद आइजीआइएमएस में एडमिट किया गया था। सांस लेने में दिक्कत को देखते हुए मरीज को सीधे आइसीयू में एडमिट किया गया। मरीज का सेचुरेशन जब 98 प्रतिशत हुआ तब फेफड़े का एचआरसीटी 28 अप्रैल को किया गया। जिसकी रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टरों के होश उड़ गये।
एचआरसीटी स्कोर 23/25 फिर भी बचा लिया
दरअसल रिपोर्ट में सीटी स्कोर 23/25 था। डॉक्टरी भाषा में इसका मतलब होता है कि करीब 90-95 प्रतिशत फेफड़ा संक्रमित हो चुका है। हालांकि डॉक्टरों ने हिम्मत न हारते हुए इलाज जारी रखा। डॉक्टरों की टीम में डॉक्टर अरशद एजाजी, डॉक्टर सौरभ शेखर, डॉक्टर सिद्धार्थ, डॉक्टर प्रीतपाल व डॉक्टर निरुपम की अहम भूमिका थी। इलाज चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर मनीष मंडल की देखरेख में हुआ। अंतत: 15 दिन के अथक प्रयास के बाद मरीज को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद नौ मई को छुट्टी दे दी गयी। संस्थान के निदेशक डॉ एनआर विश्वास ने पूरी टीम को बधाई देते हुए उनकी हौसला अफजाई की है।