जातीय गणना पर रोक लगाने के फैसले से पहले राज्य सरकार का पक्ष सुनेगी सुप्रीम कोर्ट, आज होनी है अहम सुनवाई

NEW DELHI : बिहार में जातीय गणना का काम लगभग पूरा हो गया है और अब सिर्फ डाटा अपलोड कर उसकी रिपोर्ट जारी करनी है। लेकिन यह रिपोर्ट जारी होगी या नहीं, इसको लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। जिसमें बिहार सरकार जातीय गणना पर अपना पक्ष रखेगी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। 

क्या हुआ था पिछली सुनवाई में

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 18 अगस्त को सुनवाई हुई थी। कोर्ट मे सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की ओर से बताया गया था कि बिहार में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। आंकड़े भी ऑनलाइन अपलोड की जा रही है। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने बिहार में हो रही जातीय गणना का ब्योरा रिलीज नहीं करने की मांग कर दी थी।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। इससे पहले 14 अगस्त को सुनवाई टल गई थी।

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में दिया था फैसला

बता दे कि सुप्रीम कोर्ट से पहले पटना हाईकोर्ट में जातीय गणना को रोक लगाने को लेकर याचिका दायर किया गया था। जिसमें हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था।

सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया कि हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर जातीय गणना के बचे काम को पूरा करें। पिछले एक सप्ताह से यह काफी तेजी से हो रहा है। सूत्रों की माने तो पटना जैसे बड़े जिले में यह काम लगभग पूरा होने वाला है। डेटा कलेक्शन का काम भी पूरा हो गया है। अब डेटा को ऑनलाइन फीड किया जा रहा है।

सर्वे पर 500 करोड़ का आया है खर्च

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुसार बिहार सरकार जातीय गणना नहीं, सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी लेना चाहती है। इससे उनकी बेहतरी के लिए योजना बनाई जा सके। सरकार की तरफ जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को लिए सरकार की तरफ से 500 करोड़ की राशि अलॉट की गई है।