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कांग्रेस के युवराज को हो रहा होगा पछतावा? पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की पुस्तक में खुलासा- राहुल के अध्यादेश स्टंट को कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील माना था प्रणब ने, इनसाइड स्टोरी

कांग्रेस के युवराज को हो रहा होगा पछतावा? पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की पुस्तक में खुलासा- राहुल के अध्यादेश स्टंट को कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील माना था प्रणब ने, इनसाइड स्टोरी

दिल्ली- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर लिखी गई एक पुस्तक में दावा किया गया है कि 2013 में राहुल गांधी द्वारा एक अध्यादेश की प्रति फाड़े जाने की घटना से वह स्तब्ध रह गए थे।पुस्तक के मुताबिक, उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी को गांधी-नेहरू परिवार से होने का ‘‘घमंड’’ है, लेकिन उनमें उनके जैसा राजनीतिक कौशल नहीं है।

दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पूर्व 27 सितंबर, 2013 को राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने की कार्रवाई को कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील माना था , 11 दिसंबर को रिलीज होने वाली एक नयी किताब में यह खुलासा किया गया है। दिवंगत नेता की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी द्वारा लिखित रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘प्रणब, माई फादर’ में यह भी लिखा गया है कि कैसे प्रणब ने राहुल के लगातार गायब रहने वाले कृत्यों पर निराशा व्यक्त की थी।

किताब में एक घटना का उल्लेख है कि राहुल को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब से मिलने के लिए शाम का समय दिया गया था, लेकिन वह सुबह तब पहुंचे जब प्रणब सुबह की सैर कर रहे थे। शर्मिष्ठा ने किताब में प्रणब को यह कहते हुए उद्धृत किया है कि ‘यह पता चला कि राहुल शाम को प्रणब मुखर्जी से मिलने वाले थे, लेकिन उनके कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह है… जब मैंने अपने पिता से पूछा, तो उन्होंने टिप्पणी की कि ‘अगर राहुल का कार्यालय सुबह और अपराह्न के बीच अंतर नहीं कर सकता है तो वे एक दिन पीएमओ को कैसे चलाने की उम्मीद करते हैं?’ किताब में प्रणब के हवाले से यह उल्लेख है कि राहुल में ‘उनके राजनीतिक कौशल को जाने बिना’ गांधी-नेहरू वंश का खूब अहंकार था। किताब से यह भी पता चलता है कि प्रणब को मालूम था कि कांग्रेस की सरकार बनने पर डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होंगे। इससे दिवंगत दिग्गज और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच अविश्वास के कारणों का भी पता चलता है। किताब में कहा गया है कि संदेह इस बात से पैदा हुआ कि 31 अक्तूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब ने प्रधानमंत्री पद के लिए दावा किया था। लेखक का कहना है कि लेेकिन यह सच नहीं है।

शर्मिष्ठा के लिए, भारत के 13वें राष्ट्रपति, प्रणब एक बाबा, एक कर्मठ, एक इतिहास शिक्षक और एक समर्पित धार्मिक व्यक्ति थे, जिन्होंने कभी भी अपनी बेटी पर अपने विचार नहीं थोपे।पुस्तक में, शर्मिष्ठा ने अपने परिवार की निजी दुनिया का खुलासा किया है। प्रणब के राजनीतिक जीवन के बारे में नए एवं अब तक अज्ञात तथ्यों को उजागर करते हुए वह कहती हैं, ‘पीएम मोदी हमेशा बाबा के पैर छूते थे।’

बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2013 के एक फैसले को निष्क्रिय करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया था, जिसेराहुल गांधी ने फाड़ दिया था।सितंबर 2013 में यूपीए सरकार ने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को निष्क्रिय किया था, जिसमें कहा गया था कि सांसदों और विधायकों के दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। फैसले के खिलाफ अध्यादेशपारित भी हो गया था और उस वक्त भाजपा, वामदल समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध भी किया था, लेकिन अध्यादेश को वापस नहीं लिया गया। हालांकि, राहुल गांधी के दखल के बाद इस अध्यादेश को वापस ले लिया गया था।विपक्षी पार्टियों के हंगामे के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यादेश की अच्छाइयों को जनता के सामने रखने की कोशिश की थी, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच में राहुल गांधी पहुंचे और खुद की ही सरकार पर सवाल खड़े करने लगे। इस दौरान उन्होंने अध्यादेश को बकवास बताया था और अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। जिसको लेकर आज भी भाजपा उन पर निशाना साधती रहती है।

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