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जुर्माने पर 'जागी' नीतीश सरकारः अफसरों की लापरवाही व सुस्ती से 'सुशासन' की छवि हो रही खराब, सभी DM को दिया गया पत्र

जुर्माने पर 'जागी' नीतीश सरकारः अफसरों की लापरवाही व सुस्ती से 'सुशासन' की छवि हो रही खराब, सभी DM को दिया गया पत्र

PATNA: पटना हाईकोर्ट ने सरकार पर जुर्माना लगाया तो नींद से जागे सुशासन के अधिकारी।इसके बाद विभाग के स्तर पर समीक्षा हुई जिसमें पाया गया कि अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सरकार की छवि पर दाग लग रहा है। अब सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर पूरी रिपोर्ट तलब की गई है। 2021 में राम अवतार लखौटिया बनाम बिहार सरकार के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सरकार को 25 हजार रू का जुर्माना लगाया है। 

सरकार पर लगा 25 हजार का जुर्माना

अररिया के फारबिंसगंज अंचल के जमाबंदी निरस्त्रीकरण केस में समय पर काउंटर ऐफिडेविट दायर नहीं करने की वजह से हाईकोर्ट ने 24 नवंबर 2021 को राज्य सरकार पर 25 हजार का जुर्माना ठोका था। जुर्माने की वजह से सरकार की प्रतिष्ठा गिरी फिर क्या था...विभाग के अधिकारी नींद से जागे और समीक्षा शुरू हो गई। इसी हफ्ते राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के उपसचिव मनोज कुमार झा ने पूरे मामले की समीक्षा की । समीक्षा में पाया गया कि अधिकारियों की सुस्ती व लापरवाही की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही। 

सभी डीएम को भेजा गया पत्र

इसके बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी समाहर्ता को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा कई मामलों के संदर्भ में सरकार और विभाग के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में सीडब्ल्यूजेसी, एलपीए, एमजेसी दायर किए जाते हैं.  इन केसों में सरकार का पक्ष जिला स्तर से ससमय तथा समुचित एवं प्रभावी ढंग से कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए जाता है। साथ ही पारित आदेश का अनुपालन समय से नहीं किए जाने के कारण हाईकोर्ट ने इसे अन्यथा लिया है. सथ ही सरकार के खिलाफ प्रतिकूल आदेश पारित किए हैं. इतना ही नहीं कुछ मामले में तो अर्थदंड भी लगाए हैं .इससे सरकार की छवि प्रभावित होती है. यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है.


केस निष्पादन कर विभाग को दें जानकारी

 ऐसे में यह आवश्यक है कि जिला से संबंधित सभी प्रकार के केसों की जिला स्तर पर गहन समीक्षा करें, तथा जिला स्तर से तथ्यपरक एवं कंडिका वार शपथ पत्र/ कारण पृच्छा कोर्ट में दायर करने की कार्रवाई करें। यदि किसी केस में विभागीय निर्देश प्राप्त किया जाना हो तो ऐसे में प्रस्ताव गठित कर अभिलेखों के साथ समय सीमा के अंदर पारित आदेश के अनुपालन की कार्रवाई अनिवार्य रूप से की जाए. यदि पटना हाईकोर्ट के द्वारा पारित आदेश में सन्निहित मामला अपील दायर करने योग्य प्रतीत होता हो तो जिला स्तर से ऐसे प्रस्ताव गठित कर निर्धारित समय सीमा में विधि सम्मत कार्रवाई सुनिश्चित करें. विभाग के स्तर से सूचनाओं के आधार पर जिला से संबंधित पटना हाई कोर्ट में दायर सीडब्ल्यूजेसी, एलपीए एवं एमजेसी वादों की सूची संधारित कर भेजी जाती है. इस आलोक में अपने जिला से संबंधित केसों के निष्पादन की कार्रवाई शीघ्र सुनिश्चित करें .साथ ही वांछित सूचना विभाग को उपलब्ध कराएं. विभाग ने स्पष्ट तौर पर माना है कि जिलों में न्यायालय के आदेश के अनुपालन में सुस्ती की वजह से एमजेसी की संख्या बढ़ रही है.


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