PATNA : खासमहाल सिटीजन वेलफेयर सोसाइटी की ओर से राजधानी पटना के कदमकुआं स्थित सेंट सेवरेंस स्कूल में एक आपात बैठक का आयोजन किया गया. इस मौके पर सोसाइटी की ओर से से कहा गया की बिहार सरकार की खासमहाल नीति 2011 के अनुसार स्थानीय बाशिंदों को उनके घर से बेघर किया जा रहा है. इस मौके पर खासमहाल निवासियों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खासमहाल नीति 2011 को निरस्त करने की मांग की और कहा कि वे उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित न करें.
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वहीँ सोसाइटी के महासचिव शैलेंद्र नाथ सिन्हा और उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि सरकार और प्रशासन के द्वारा विगत कई दिनों से खासमहाल वासियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. उन पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की जा रही है. प्रशासन खासमहाल बाशिंदों के ऊपर एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनको घर से बेघर करने का काम कर रहा है. इसलिए सोसायटी के सारे सदस्यों ने मिलकर मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए घर कब्जा करने के आदेश को तुरंत निरस्त करने का आग्रह किया है. साथ ही प्रशासन से मांग किया है कि नगर निगम के तर्ज पर अविलंब खासमहल वासियों का म्यूटेशन एवं किराया लेना स्वीकार करें तथा सरकार हमारे जमीन को पीआरडीए और हाउसिंग बोर्ड की जमीन की तरफ फ्री होल्ड करें.
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उन्होंने कहा है कि इस शहर को बसाने में हमारे पूर्वजों का अहम योगदान रहा है. खासमहाल नीति 2011 से खासमहल निवासियों को होने वाली मुश्किल, लाचारी और बेबसी का सरकार को कोई ख्याल नहीं है. उन्होंने खासमहाल स्थायी और जमीन की बंदोबस्ती की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया और कहा कि अंग्रेजी सरकार लीजधारी भारतीयों को गुलाम समझती थी. इसलिए पैसे लेकर भी लोगों को जमीन का मालिक बनाने के बजाय लेसी ही बनाया. उन्होंने कहा यह कि सरासर नाइंसाफी है. खुद ही निष्कासन का सूचना देना और खुद ही निष्पादन करना तर्कसंगत नहीं है. नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन है या व्यवहार न्यायालय की अवहेलना करने की एक साजिश है.
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उन्होंने कहा कि खासमहाल नीति 2011 के 5 अध्याय हैं जो क्रूर नियमों से अभिशप्त हैं एवं पुराने लीज के मूल भावनाओं से भिन्न है. चाहे वह लीज नवीकरण की नीति हो, पूर्व अनुमति की नीति हो. लीज के शर्तों के उल्लंघन की नीति हो या अन्य विविध नीतियां. ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय एवं सुप्रीम कोर्ट ने खासमहाल 2011 के नीति 2011 से पहले के लीज होल्ड धारकों पर लागू नहीं करने का आदेश दिया है. फिर भी प्रशासन द्वारा मालगुजारी नहीं लेना. म्यूटेशन नहीं करना. पुराने लीज धारियों के गलत सर्वे रिपोर्ट का आधार बनाकर पुलिस के द्वारा मकान खाली करवा रही है, जो सरकार द्वारा सरासर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करना है. उन्होंने कहा की खासमहाल सिटीजन वेलफेयर सोसाइटी के सारे सदस्य सरकार से गुहार लगाते हैं कि सरकार प्रशासन के द्वारा घर कब्जा करने के आदेश को तुरंत खत्म करें और प्रशासन को यह आदेश दें कि नगर निगम के तर्ज पर अविलंब खासमहाल के वासियों का म्यूटेशन एवं किराया लेना स्वीकार करें. साथ ही पुराने सर्वे को निरस्त कर सरकार हमारे जमीन को भी पीआरडीए हाउसिंग बोर्ड की जमीन की तरफ फ्री होल्ड करें.
पटना से रोहित कुमार की रिपोर्ट