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हिंदूओं को लेकर आपकी नफरत, सोच को नहीं भूलेंगे देश के लोग, विवेकानंद का जिक्र हिंदूओं को हिंसक बताने पर राहुल गांधी को पीएम ने जमकर सुनाया

 हिंदूओं को लेकर आपकी नफरत, सोच को नहीं भूलेंगे देश के लोग, विवेकानंद का जिक्र हिंदूओं को हिंसक बताने पर राहुल गांधी को पीएम ने जमकर सुनाया

NEW DELHI : संसद में कल जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हिंदूओं को हिंसक बताया, उसके बाद आज प्रधानमंत्री ने उन्हें संसद में जमकर सुनाया। प्रधानमंत्री ने हिंदूओं को हिसंक बताने को लेकर राहुल गांधी के संस्कार, चरित्र और सोच को कठघरे में खड़ा कर दिया। प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी को हिंदूओं से नफरत करनेवाला बताया।



विवेकानंद का किया जिक्र

अपने भाषण की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने कहा कल जो हुआ, देश के कोटि-कोटि वासी सदियों तक माफ नहीं करेंगे. 131 साल पहले स्वामी विवेकानंदजी ने शिकागो में कहा था कि मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से आता हूं जिसने पूरी दुनिया को सहिष्णुता और वैश्विक स्वीकृति सिखाई है. विवेकानंदजी ने शिकागो में हिंदू धर्म के लिए दुनिया के दिग्गजों के सामने कहा था. हिंदू के कारण ही भारत की विविधता पनपी है और पनप रही है.



शताब्दियों तक नहीं भूलेंगे

 गंभीर बात है कि आज हिंदुओं पर झूठा आरोप लगाने की साजिश हो रही है, गंभीर षड़यंत्र हो रहा है. ये कहा गया हिंदू-हिंदू हिंसक होते हैं. ये है आपका संस्कार, आपका चरित्र, आपकी सोच, आपकी नफरत. देश के हिंदुओं के साथ ये कारनामे. ये देश शताब्दियों तक इसे भूलने वाला नहीं है. 



हिंदूओं का विरोध करनेवालों पर साधा निशाना

प्रधानमंत्री ने कहा कि  कुछ दिन पहले हिंदुओं में जो शक्ति की कल्पना है, उसके विनाश की कल्पना की गई थी. ये देश सदियों से शक्ति का उपासक रहा है. ये बंगाल मां दुर्गा की, मां काली की पूजा करता है, उपासना करता है,आप उस शक्ति के विनाश की बात करते हो. ये वो लोग हैं जिन्होंने हिंदू आतंकवाद ये शब्द गढ़ने की कोशिश की थी. इनके साथी हिंदू धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया ऐसे शब्दों से करें, ये देश कभी माफ नहीं करेगा. एक सोची-समझी साजिश के तहत इनका पूरा इकोसिस्टम हिंदू परंपरा को नीचा दिखाना, अपमानित करना, मजाक उड़ाना ये फैशन बना दिया है. 



संयोग नहीं है हिंदूओं का अपमान, यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा

हम बचपन से सीखते हुए आए हैं, गांव का हो शहर का हो, अमीर हो गरीब हो, ईश्वर का हर रूप दर्शन के लिए होता है. ईश्वर का कोई भी रूप निजी स्वार्थ के लिए, प्रदर्शन के लिए नहीं होता. जिसके दर्शन होते हैं, उनके प्रदर्शन नहीं होते. हमारे देवी-देवताओं का अपमान 140 करोड़ देशवासियों के हृदय को गहरी चोट पहुंचा रहा है. निजी राजनीतिक स्वार्थ के लिए ईश्वर के रूपों का इस तरह से खेल. सदन में कल का दृश्य देखकर अब हिंदू समाज को सोचना पड़ेगा कि क्या ये अपमान कोई संयोग है या बड़े प्रयोग की तैयारी है।


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