DESK : लोग सरकारी विभागों में क्यों काम करना चाहते हैं, चाहे वह कांट्रेक्ट पर ही क्यों न हों। इसका एक बड़ा उदाहरण नगर निगम में ढाई दशक तक मस्टररोल कर्मचारी के रूप में काम करनेवाले इस शख्स से समझा जा सकता है। जिसको 25 साल नौकरी में जितनी सैलरी नहीं मिली थी, उससे छह गुना से अधिक संपत्ति उसने अर्जित कर ली थी। जब उसकी आय की जांच की गई तो अधिकारी भी हैरान रह गए।
मामला इंदौर नगर निगम से जुड़ा है. जिसे देश में सबसे स्वच्छ शहर देने का क्रेडिट मिलता रहा है। लेकिन यहां काम करनेवाले कर्मचारी किस तरह अवैध कमाई करते हैं इसकी सच्चाई सामने आई है। इंदौर नगर पालिका में कार्यरत राजकुमार सालवे 1997 में निगम मस्टर कर्मचारी के रूप में भर्ती हुआ था। 2016 में वह स्थायी कर्मचारी हुआ। इस दौरान उसे मस्टर कर्मचारी और स्थायी कर्मचारी के रूप में काम करते हुए 26 लाख रुपए का वेतन मिला था। लेकिन सालवे की कमाई यहीं तक सीमित नहीं थी।
आय से अधिक प्रॉपर्टी
साल्वे की अवैध कमाई को लेकर किसी आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) के पास शिकायत कर दी। जिसके बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने इंदौर में सालवे के अंबिकापुरी, बीवैद्य ख्यालीराम मार्ग स्थित दो मकानों व एरोड्रम के पास सीताश्री रेसीडेंसी के फ्लैट पर गुरुवार को छापे की कार्रवाई की। इसमें पाया गया कि उक्त दो मकान और एक फ्लैट के अलावा उसके पास दो भूखंड, लाखों रुपए की बीमा पॉलिसी, सोने-चांदी के आभूषण और एक कार व तीन दोपहिया वाहन हैं। प्रारंभिक आकलन के हिसाब से डेढ़ करोड़ रुपए की संपत्ति पाई गई है।