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मधुबनी पेंटिंग और बुद्ध की जीवनी की अनूठा संगम : दीवारों पर चित्रों के जरिए उकेरी जा रही है महात्मा बुद्ध की पूरी कहानी

मधुबनी पेंटिंग और बुद्ध की जीवनी की अनूठा संगम : दीवारों पर चित्रों के जरिए उकेरी जा रही है महात्मा बुद्ध की पूरी कहानी

GAYA : बोधगया नगर  परिषद क्षेत्र की दीवारों में रंगों की एक से बढ़ कर एक चित्र बिखरी है। कालचक्र मैदान से लेकर श्री जगन्नाथ मंदिर के आस पास के दीवारें चित्रकला के गुच्छे में परिवर्तित हो गया है। अब मिथिला  से आए हुए कलाकरों द्वारा नगर के दीवारों पर भगवान बुद्ध के जीवनि से लेकर भगवान श्री जगन्नाथ के पुरानी और पारंपरिक चरित्र मधुबनी कला के जरिए जीवित की जा रही हैं। मधुबनी आर्ट के जरिए जैसे-जैसे भगवान बुद्ध की जीवनि नगर की दीवारों में उकेरा जा रहा है। वैसे-वैसे मानों दीवारे जैसे बोल उठ रहीं है।

ज्ञान की स्थली बोधगया भगवान बुद्ध के ऐतिहासिक जगह है ही, पर्यटकों के लिए यह आकर्षण  केंद्र भी रहा है। ज्ञान की प्रप्ति के लिए सिर्फ देश के ही पर्यटक यहा नहीं पहुंचते। बल्कि विदेश से भी यहा लोग पहुंचते है। कलाकर अपनी कला के माध्यम से भगवान बुद्ध के जन्म के पहले उनकी मां महामाया को आए सपने से इसकी शुरुआत कर रहे है। बीटीएमसी कार्यालय के पास के दीवार से इसकी शुरुआत की गई है।

मधुबनी पेंटिंग को जीवित रुप देनेे के लिए लगे गया के जुगनू कुमार, मधुबनी की इशा झा, अंजली झा सहित 10 कलाकरो द्वारा बोधगया में रहकर पेंटिंग बनाया जा रहा है। अंजलि झा ने बताया कि बुद्ध के जीवनि से बुद्ध के निर्वाहण तक को पेंटिंग के माध्यम से दिखाएंगे। इसके लिए यह लोग वाटर कलर, पेंट, फेवरिक कलर का इस्तेमाल कर रहे है। पहले मधुबनी पेंटिंग के लिए प्राकृतिक कलर का ही इस्तेमाल करते थे। जैसे पत्थर को रगड़ कर, पेड़ के विभिन्न रंगों के पत्ते के रस को चिनोर कर कलर इकट्ठा किया जाता था। मधुबनी पेंटिंग को जीवित रखने के साथ इतिहाश को जानने में लोगों को आसान बनने का यह एक पहल है।

बता दें कि इस चित्रकला बनवाने में बोधगया नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी का अहम योगदान है।उन्ही के आदेश के बाद पेंटिंग करवाई जा रही है।इससे बोधगया और आस पास के लोग काफी खुश हैं।



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