'बंधु बिहारी' संकर्षण ठाकुर का निधन, बिहार की सियासत और लालू- नीतीश की राजनीति पर लिखी किताबें बनी नजीर, एक पत्रकार जिसने उजागर की बिहार की सच्चाई

Bihar News: देश के बड़े पत्रकार,टेलीग्राफ के संपादक,बिहार से आने वाले संकर्षण ठाकुर ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। वह कुछ दिनों से बीमार थे। बिहार के बारे में अद्भुत ज्ञान था। उन्होंने बंधु बिहारी सहित बिहार की सियासत और लालू- नीतीश के राजनीतिक जीवन

संकर्षण ठाकुर का निधन
संकर्षण ठाकुर का निधन- फोटो : News4nation

Bihar News: वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और समाज-राजनीति के गहन अध्येता संकर्षण ठाकुर का 63 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से भारतीय पत्रकारिता ने एक निर्भीक और खोजी पत्रकार को खो दिया है, जिसने सत्ता से सवाल पूछने की परंपरा को जिंदा रखा।

संकर्षण ठाकुर का निधन

संकर्षण ठाकुर का जन्म 1962 में पटना में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल, पटना और दिल्ली से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पत्रकारिता में उनका सफर 1984 में ‘संडे’ पत्रिका से शुरू हुआ। उन्होंने द टेलीग्राफ और इंडियन एक्सप्रेस जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों में लंबा वक्त बिताया। इंडियन एक्सप्रेस में वे एसोसिएट एडिटर रहे, जबकि 2009 में तहलका के कार्यकारी संपादक के रूप में सेवाएं देने के बाद वे दोबारा द टेलीग्राफ से जुड़े और अंतिम समय तक बतौर रोविंग एडिटर कार्यरत रहे।

विश्लेषणात्मक और तीखी रिपोर्टिंग शैली 

उनकी रिपोर्टिंग शैली विश्लेषणात्मक और तीखी रही। कश्मीर, बिहार, उत्तर प्रदेश, पाकिस्तान और पूरे उपमहाद्वीप के जटिल राजनीतिक और सामाजिक संघर्षों पर उन्होंने गहन काम किया। संकर्षण ठाकुर ने न सिर्फ़ समाचारों की रिपोर्टिंग की, बल्कि घटनाओं के पीछे की राजनीति और समाजशास्त्र को भी समझाया।

लालू-तेजस्वी पर लिखी कई किताबें

उनकी लेखनी को विस्तार मिला उनके लेखन कार्यों में। उन्होंने कई चर्चित किताबें लिखीं, जिनमें “सबाल्टर्न साहेब” लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक जीवनी के रूप में काफी चर्चित रही। “द ब्रदर्स बिहारी” उनकी एक और प्रशंसित कृति है, जो लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर को दस्तावेज़ करती है। इसके अलावा “The Kargil: From Surprise to Victory” और “Single Man: The Life and Times of Nitish Kumar of Bihar” भी उल्लेखनीय पुस्तकें हैं। उनकी एक अन्य महत्वपूर्ण रचना “The Brothers Bihari” ने बिहार की राजनीति की अंतर्धाराओं को समझने में पाठकों की मदद की।

लेखनी के लिए याद किए जाएंगे बंधु बिहारी

संकर्षण ठाकुर ने उन विषयों पर भी लिखा जिन पर मुख्यधारा की मीडिया अक्सर चुप्पी साध लेती है — जातिगत हिंसा, ऑनर किलिंग्स, और हाशिये के समाज की आवाज़ें। उनके मोनोग्राफ इन गूढ़ विषयों की गहराई में जाकर सच को उजागर करते हैं। उनका जाना भारतीय पत्रकारिता के एक प्रामाणिक और विचारशील दौर का अंत है। वे हमेशा अपने सटीक विश्लेषण, बेबाक सवालों और साहसी लेखनी के लिए याद किए जाएंगे।