पटना... 15 साल बाद बिहार में पहली बार विधानसभा को लेकर कोई ऐसा चुनाव हुआ है, जिसमें नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से लेकर ये संशय बना हुआ है कि जो तमाम सर्वे में एनडीए की सीटें महागठबंधन से कम दिखती है और अधिकतर सर्वे में महागठबंधन बढ़त बनाए हुए है। लेकिन हैरानी की बात है कि दोनों गठबंधन एग्जिट पोल के सर्वे से उत्साहित नजर नहीं आ रही है। क्योंकि 2015 का एग्जिट पोल पूरी तरह से धराशाही हो गई थी।
इस बार जीत के लड्डू का स्वाद कौन चखेगा, ये महज चंद घंटों के बाद ही पता चल जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल की मानें तो नीतीश कुमार के शासन पर बे्रक लगने जा रहा है और तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। कुछ एग्जिट पोल ने कांटे की टक्कर बताई है तो कुछ सर्वे में महागठबंधन को प्रचंड बहुमत मिलने का अनुमान बता रही है। लेकिन 2015 के सर्वे पोल से सियासी पूरी तरह सहमी हुई है। दोनों ओर से जीत के दावे हो रहे हैं, लेकिन दोनों दलों को 10 नवंबर का इंतजार है।
इस बीच जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि 2015 में आपने देखा था कि सर्वे किस तरह से फेल हो गया था। इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा और हमें 10 नंवबर का इंतजार है। हालाकि हम लोगों को सूत्रों के माध्यम से ये पता चल रहा है कि एनडीए की सरकार बन रही है।
इधर, तमाम एग्जिट पोल के सर्वे में महागठबंधन की जीत तय मानी जा रही है, इसके बावजूद राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह एग्जिट पोल के किसी भी सर्वे को मानने से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी ने जो जनता से वादे किए हैं, जो सवंाद किया है वो जनता के बीच पूरी तरह से पहुंच पाई है। उनकी मेहनत का परिणाम 10 नवंबर को सफल होगा। उससे पहले हम किसी सर्वे को नहीं मानते हैं।
वहीं, आरजेडी की ओर से यह निर्देश दिया गया है कि चुनाव का परिणाम कुछ भी हो, लेकिन जीतने वाले विधायक और कार्यकर्ता जीत का जश्न दायरे में रहकर ही मनाएं।
इधर, चुनावी धमाचैकड़ी के बीच भाजपा कार्यालय पर सन्नाटा पसरा दिखा। तमाम नेता थकान मिटा रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं उस इरादे का जिसे जनता ने ईवीएम में लाॅक कर दिया है। दावे तमाम हैं, लेकिन अब नेताओं के हाथ से वक्त निकल चुका है। इंतजार कीजिए जनादेश का जो 10 नवंबर को आने वाला है।