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गुरुजी को मिला नया टास्क, पढ़ाने से पहले चखेंगे भोजन का स्वाद

गुरुजी को मिला नया टास्क, पढ़ाने से पहले चखेंगे भोजन का स्वाद

लीजिए अब बिहार के गुरुजी के लिए एक और नया फरमान आ गया। जी हां, अब वो बच्चों को पढ़ाने से पहले उनको दिए जानेवाले भोजन का स्वाद चखेंगे। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने फरमान जारी कर दिया है। गुरुजी भोजन को चखकर जब सही करार देंगे तब ही वो बच्चों को खाने के लिए दिया जायेगा।  

शिक्षा विभाग ने जिले के सभी डीपीओ, मध्याह्न भोजन योजना, को आदेश दिया है कि शिक्षक पहले भोजन का स्वाद चख लें, उसके बाद उसे पंजी में दर्ज करें। बिना चखे बच्चों को भोजन नहीं परोसना है। चखने का मकसद है कि मध्याह्न भोजन मानक के अनुसार है या नहीं। मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक ने बुधवार, 8 अगस्त को इस संबंध में सभी शिक्षकों को सख्त निर्देश जारी किया है। 

दरअसल विभाग को लगातार शिकायत मिल रही थी कि सरकारी स्कूलों में बच्चों के बीच गुणवत्ता युक्त भोजन नहीं दिया जा रहा। इसके बाद शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा के स्तर पर बैठक हुई और बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मध्याह्न भोजन बनने के बाद सरकारी विद्यालय के शिक्षक पहले भोजन को चखेंगे। इसके बाद  बच्चों के बीच भोजन परोसा जायेगा। बताया जा रहा है कि सफाई व शुद्धता के ख्याल से ऐसा निर्णय लिया गया है। 

पंजी यानी रजिस्टर में जो बातें दर्ज होंगी, उसे अपने वरीय अधिकारियों तक भेजने का निर्देश दिया गया है। हालांकि इसके पहले भी शिक्षा विभाग में इस तरह के आदेश दिए गये थे लेकिन सरकारी विद्यालय के शिक्षकों ने इसका अनुपालन नहीं किया था। एक बार फिर से विभाग ने यह सख्त आदेश जारी किया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग का यह नया आदेश कितना प्रभावी हो पाता है और बच्चों के बीच संचालित मध्याह्न भोजन योजना में कितनी सुधार हो पाती है।


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