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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दांव पर लगी सीएम नीतीश की प्रतिष्ठा, जदयू को एमपी में सम्मान बचाने की चुनौती

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दांव पर लगी सीएम नीतीश की प्रतिष्ठा, जदयू को एमपी में सम्मान बचाने की चुनौती

पटना. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की किस्मत भी दांव पर लगी हुई है. जदयू को देश के अन्य राज्यों में संगठन विस्तार देने के लिए पार्टी ने इस बार के चुनाव में कई विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी. जदयू की ओर से मध्य प्रदेश की 10 विधानसभा सीटो पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी. 

इसमें पार्टी ने पिछोर सीट से चंद्रपाल यादव, राजनगर सीट से रामकुंवर रायकवार, विजय राघवगढ़ सीट से शिव नारायण सोनी, थांदला सीट से तोल सिंह भूरिया और पेटलावद सीट से रामेश्वर सिंगला को चुनावी मैदान में उतारा. वहीं जदयू की दूसरी सूची में भी पांच उम्मीदवार रहे. जदयू ने सागर जिले के नरियावली (एससी) से सीताराम अहिरवार, नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव (एससी) से प्रमोद कुमार मेहरा, कटनी जिला के बहोरीबंद से पंकज मौर्या, जबलपुर उत्तर से संजय जैन और बालाघाट विधानसभा क्षेत्र से विजय कुमार पटेल को मैदान में जदयू ने उतारा .

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मध्य प्रदेश में उम्मदीवार उतारने के पार्टी के फैसले का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि जदयू देश भर में पार्टी को विस्तार देने के लिए स्वतंत्र है. पार्टी पहले भी मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ चुकी है. वहीं एक ओर सीएम नीतीश की पहल पर भाजपा को लोकसभा चुनाव में हराने के लिए विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया बनने और दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में एक दूसरे को चुनौती देने का भी ललन सिंह ने बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि इंडिया का गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए है. 

दरअसल, सीएम नीतीश कुमार की कोशिश लम्बे समय से है कि जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिले. इसके लिए जदयू का कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में पहले भी किस्मत आजमाने का दांव देखा जा चुका है. हालांकि पार्टी को अब तक उतनी सफलता नहीं मिली जिससे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके. ऐसे में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से जदयू को बड़ी आस है. अगर जदयू ने यहां कोई करिश्मा कर दिया तो उसके राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. 17 नम्वबर को मध्य प्रदेश में सभी 230 सीटों पर चुनाव हो रहा है और परिणाम 3 दिसम्बर को आएगा. 

एमपी में जदयू का रिकॉर्ड बेहद खराब : मध्य प्रदेश में जदयू ने पहला विधानसभा चुनाव 1998 में लड़ा। 144 उम्मीदवार थे। 135 की जमानत नहीं बची। पाटन सीट पर सोबरान सिंह बाबूजी की जीत हुई। 2003 में उम्मीदवारों की संख्या घटकर 36 रह गई। बड़वारा से सरोज बच्चन नायक चुनाव जीते। 33 की जमानत जब्त हुई। 2008 का मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जदयू के लिए बहुत बुरा रहा। 49 उम्मीदवारों में से किसी की भी जमानत नहीं बची।2013 में जदयू के केवल 22 उम्मीदवार मैदान में उतरे। एक की जमानत बच पाई।

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