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विदेश मंत्री जयशंकर ने वियतनामी विदेश मंत्री से विभिन्न मुद्दों पर की चर्चा, राजनयिक संबंधों की गोल्डन जुबली टिकट किया जारी

विदेश मंत्री जयशंकर ने वियतनामी विदेश मंत्री से विभिन्न मुद्दों पर की चर्चा,  राजनयिक संबंधों की गोल्डन जुबली टिकट किया जारी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वियतनाम के विदेश मंत्री बुई थान सोन से सोमवार को मुलाकात कर दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा,रक्षा और समुद्र सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. दोनों ने क्षेत्र में चीन के आक्रामक बर्ताव के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी चर्चा की. जयशंकर और वियतनाम के विदेश मंत्री ने भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संयुक्त रूप से स्मारक टिकट जारी किया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर आपने पोस्ट में कहा,‘‘कलारीपट्टू और वोविनाम को दर्शाने वाले टिकट खेलों के प्रति हमारा साझा लगाव दिखाते हैं. साथ ही भारत और वियतनाम के बीच मजबूत सांस्कृतिक, सामाजिक और लोगों के बीच संबंधों का जश्न मनाते हैं. 

विदेश मंत्री जयशंकर रविवार को वियतनाम  में हनोई में 18वें ‘भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग’ की एक बैठक में भी शामिल हुए. जयशंकर ने  सह अध्यक्ष विदेश मंत्री बुई थान सोन का आभारजताते हुए हा कि  हमने राजनीति, रक्षा, समुद्री सुरक्षा, न्यायपालिका, व्यापर और निवेश, ऊर्जा, विकास, शिक्षा एवं प्रशिक्षण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति के क्षेत्र पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि आश्वस्त हूं कि आने वाले वर्षों में हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी.

साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर दृष्टिकोण साझा किया, वैश्विक मुद्दों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और विभिन्न बहुपक्षीय समूहों में हमारे सहयोग पर चर्चा की.  हिंद-प्रशांत एक भू-जैविक क्षेत्र है जिसमें दक्षिण चीन सागर सहित हिंद महासागर,पश्चिमी तथा मध्य प्रशांत महासागर आते हैं. भारत,अमेरिका और कई अन्य शक्तिशाली देश संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदमों के बीच स्वतंत्र,खुले और समृद्ध हिंद प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की जरूरत पर लगातार जोर देते रहे हैं.

बता दें के सुब्रमण्यम को कई सरकारों ने पद्म सम्मान  के लिए चुना लेकिन उन्होंने हमेशा लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि ब्यूरोक्रेट और पत्रकार को सरकार से कोई सम्मान लेने से बचना चाहिए. लेकिन मार्च 2019 में उनके बेटे एस जयशंकर ने ब्यूरोक्रेट के तौर पर पद्म श्री सम्मान  ही लिया था. मोदी कैबिनेट में एस जयशंकर की जो पारिवारिक पृष्ठभूमि है, वह किसी भी मंत्री की नहीं है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर जाने-माने स्कॉलर परिवार से हैं. उनके पिता के सुब्रमण्यम देश के जाने-माने कूटनीतिज्ञ थे. के सुब्रमण्यम 1951 आईएएस बैच के टॉपर थे. उन्हें केएस या सुब्बु नाम से भी जाना जाता था.केएस को भारत के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन का शिल्पकार माना जाता है. 'परमाणु हथियार का इस्तेमाल भारत पहले नहीं करेगा' वाले सिद्धांत का श्रेय भी केएस को ही दिया जाता है.

जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2005 में अमेरिका ने वीज़ा देने से इनकार कर दिया था. लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका ने मोदी का स्वागत किया. पीएम बनने के बाद मोदी ने सितंबर 2014 में अमेरिका का पहला दौरा किया.तब जयशंकर ही अमेरिका में भारत के राजदूत थे. कहा जाता है कि जयशंकर ने जिस तरह से मोदी के दौरे की प्लानिंग की थी, उससे वह काफ़ी प्रभावित थे. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2015 में 26 जनवरी को भारत का दौरा किया था. इसमें भी एस जयशंकर की भूमिका बड़ी मानी जाती है.2019 में आम चुनाव हुआ और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को एक बार फिर से प्रचंड बहुमत मिला. मोदी के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट मंत्रियों की लिस्ट सामने आई. सुषमा स्वराज इस लिस्ट में नहीं थीं.कहा गया कि उन्होंने सेहत का हवाला देकर मंत्री बनने से इनकार कर दिया था. फिर सवाल उठने लगा कि विदेश मंत्री कौन बनेगा? एस जयशंकर ने मंत्री पद की शपथ ली तभी स्पष्ट हो गया था कि मोदी के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री की ज़िम्मेदारी वही संभालेंगे.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से जयशंकर के तेवर की विदेश मंत्री के रूप में काफ़ी चर्चा हो रही है. विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसी महीने 11 अप्रैल को 2+2 वार्ता के लिए अमेरिका गए थे.इस वार्ता के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ भारतीय विदेश और रक्षा मंत्री प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर रहे थे. प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एक पत्रकार ने रूस से से भारत के तेल ख़रीदने पर सवाल पूछा तो जयशंकर ने दो टूक जवाब देते हुए कहा था कि 'भारत रूस से जितना तेल एक महीने में ख़रीदता है, उतना यूरोप एक दोपहर में ख़रीदता है'.जयशंकर के इस जवाब की चर्चा दुनिया भर के मीडिया में हुई. जयशंकर यहीं तक नहीं रुके. इसी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर उनकी नज़र है. ब्लिंकन की इस टिप्पणी पर वॉशिंगटन में भारतीय पत्रकारों ने जयशंकर से जवाब मांगा तो उन्होंने दो टूक कहा- "जिस तरह से अमेरिका भारत में मानवाधिकारों को लेकर अपनी राय रखता है, उसी तरह से भारत भी अमेरिका में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर अपना विचार रखता है." बहरहाल जयशंकर भारत वियतनाम की दोस्ती पर विशेष जोर देते हुए हिंद प्रशांत क्षेत्र  पर चीन की रणनीति के काट में जुटे हैं.

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