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पढ़ाई करने की जगह रसोई में खाना बना रहे हैं छात्रावास के बच्चे, घर बैठकर आराम कर रहे हैं चार रसोइए, विभाग की आंखे बंद

पढ़ाई करने की जगह रसोई में खाना बना रहे हैं छात्रावास के बच्चे, घर बैठकर आराम कर रहे हैं चार रसोइए, विभाग की आंखे बंद

BETIYA : अनुसूचित जनजाति आवासीय उच्च विद्यालय भीरभीरिया डमरापुर प्रखंड मैनाटड में 4 रसोईया रहते हुए यहां रहनेवाले छात्रों को ही अपने लिए खाने की व्यवस्था करनी पड़ती है। बच्चों का कहना है खाना नहीं बनाएंगे तो खाना नही खा पाएंगे। इसलिए मजबूरी में ऐसा करना पड़ता है। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस तरह बच्चे खुद हर दिन सौ से ज्यादा पुड़ियां बेल रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बच्चे आलू छिल रहे हैं। इसका वीडियो भी सामने आया है, लेकिन विभाग की आंखें बंद है

 सरकार ने इन मासूम बच्चों के लिए हॉस्टल में खाना बनाने के लिए रसोइयों की व्यवस्था की है। इस छात्रावास में भी चार रसोइयों की नियुक्ति जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा की गई है, लेकिन कोई भी यहां ड्युटी नहीं करता है।  इस विद्यालय में आज तक  प्रबंधन समिती का गठन भी नही हुआ है और तीन साल इस विधालय के खुले हुए भी हो गया है। साथ ही इन तीन सालो में मीनू के अनुसार खाना भी नही बनता है। विधालय के प्रधानाध्यापक रामनरेश चौधरी से बच्चों के पूछने पर वहां पूछने वाले बच्चों का नाम काटने की धमकी दे जाती है।

एक बच्चे के खाने पर 23 सौ का खर्च

सरकार इन छात्रावास में रहनेवाले प्रति बच्चों के खाने पर हर माह 2300 रुपए खर्च करती है, लेकिन इस पैसे को यूं ही बर्बाद किया जा रहा है। क्योंकि रसोइए अधिकारियों को खुश कर घर बैठे सैलरी उठा रहे है। अधिकारियों को भी सिर्फ खानापूर्ति कर रिकार्ड में ड्यूटी दिखा दी जाती है। लेकिन वीडियो सामने आने के बाद अब अब अधिकारियों की परेशानी बढ़ती नजर  आ रही है।  

 न्यूज4नेशन वीडियो की पुष्टि नहीं करता है, यह सिर्फ सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के आधार पर प्रकाशित की गई है। 

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