पटना. बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद अब सियासतदानों के बोल भी बदले हुए हैं. लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह ने शुक्रवार विरोधी दलों को जमकर सुनाया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा यूपीए सरकार के 10 वर्ष के कार्यकाल पर लाये गए श्वेत पत्र का ललन सिंह स्वागत किया. उन्होंने कहा कि जब डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे उस दौरान वे भी लोकसभा के सदस्य थे. उन्होंने भी देखा था कि कैसे वित्तीय कुप्रबंधन से देश की आर्थिक स्थिति बदतर हुई. मोदी सरकार ने अब आंकड़ों के तुलनात्मक हिसाब से श्वेत पत्र में बताया है कि किस तरह से वर्ष 2004 से 2014 तक देश में वित्तीय कुप्रबंधन हुआ.
यूपीए शासन में भ्रष्टाचार :उन्होंने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और मनीष तिवारी द्वारा श्वेत पत्र लाने पर सवाल उठाने को आड़े हाथों लिया. ललन सिंह ने कहा कि देश में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी उसी समय विजय माल्या से नीरव मोदी तक को हजारों करोड़ रुपए का लोन दिया था. बाद में वे लोग देश से फरार हो गए. उन्हें आर्थिक रूप से देश से भागने की स्थिति में बनाने वाली कांग्रेस नीत यूपीए सरकार थी. ये लोग उदाहरण है कि कैसे यूपीए सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल में वित्तीय कुप्रबंधन हुआ. ललन सिंह ने कहा कि वर्ष 2009 से 2014 के दौरान शायद ही ऐसा कोई सत्र बीतता था जब यूपीए शासन के किसी भ्रष्टाचार का जिक्र नहीं होता था.
कांग्रेस पर बरसे : ललन ने कथित दावा किया था कि डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला घोटाला, स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला जैसे कई भ्रष्टाचार उजागर हुए. यूपीए सरकार पर आरोप लगाया कि राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि कटौती की गई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस राइट टू एजुकेशन लाने का दावा करती है जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान जो ‘सर्व शिक्षा अभियान’ लाया गया था उसमें 85 फीसदी केंद्र की 15 फीसदी राज्यों की भागीदारी है. लेकिन यूपीए सरकार ने उसे राइट टू एजुकेशन में बदलकर राज्यों पर ज्यादा भागीदारी का बोझ बढ़ा दिया.
मनमोहन सिंह रहे मूकदर्शक : डॉ मनमोहन सिंह को ईमानदार बताते हुए ललन सिंह ने कहा कि वे ऐसे लोगों से घिरे थे जो गड़बड़ करते रहे लेकिन डॉ सिंह मूक दर्शक बने रहे. कांग्रेस द्वारा ईडी-सीबीआई का मोदी सरकार द्वारा दुरूपयोग करने के आरोप पर ललन ने कहा कि वे जदयू भी पिछले डेढ़ वर्ष से एनडीए से अलग थी. लेकिन इस दौरान उनके यहां या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यहां कोई ईडी-सीबीआई की कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन जो लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं उनके यहां कार्रवाई हो रही है. उन्होंने वित्त मत्री के श्वेत पत्र लाने का स्वागत किया.