N4N DESK : नीति आयोग की
बैठक में रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेबाक राय रखी। उन्होंने
केन्द्र की मिड डे मील और आंगनबाड़ी योजना पर खुलेआम एतराज जताया। नीतीश कुमार ने
बिना लाग लपेट के कहा कि जो स्कूल कभी विद्या का मंदिर हुआ करते थे अब वे कुकिंग
सेंटर बन कर रह गये हैं स्कूल में जहां पढ़ाई होनी चाहिए थी वहां अब खाना बनाने और
खिलाने में अधिक समय बर्बाद हो रहा है। यानी नीतीश ने बिहार में प्राथमिक शिक्षा
की बर्बादी के लिए सीदे सीधे केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया।
बिहार और अन्य राज्यों के प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में
बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है। इसे मिड डे मील योजना के नाम से जाना जाता
है। केन्द्र सरकार का मानना है कि बच्चों को स्कूल में पोषणयुक्त भोजन देने से
कुपोषण की समस्या खत्म हो सकती है। मिड डे मील के तहत पढ़ने वाले बच्चों प्रोटीन
और विटामिन युक्त खाना दिया जाता है।
लेकिन भोजन के लिए सामान खरीदने, उसको बनाने और बच्चों को
परोसने की जिम्मवारी स्कूल के शिक्षकों पर होती है। खाना स्कूल में ही बनता है।
जिन शिक्षकों को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, वे भोजन के इंतजाम में जुटे रहते हैं।
नतीजा ये होता है कि स्कूल में पढ़ाई का माहौल ही नहीं रहता। शिक्षकों को पढ़ाने
के लिए बहुत कम वक्त मिलता है।
नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक में इन्ही समस्याओं की ओर
ध्यान दिलाया है। बिहार में प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा के लिए मिड डे मील योजना
को जिम्मेवार माना जाता है। इस व्यवस्था की खिल्ली उड़ाने के लिए अक्सर ये जुमला
कहा जाता है- बच्चों के हाथ में स्लेट की जगह प्लेट है। नीतीश कुमार वर्षों से जो
आलोचना झेल रहे थे आज उसके ही दबाव में वे नीति आयोग की बैठक में बरस पड़े।