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निचली अदालत की फांसी की सजा को पटना हाईकोर्ट ने किया रद्द, रेप और हत्या से जुड़ा है मामला, जानिये कोर्ट ने क्या कहा

निचली अदालत की फांसी की सजा को पटना हाईकोर्ट ने किया रद्द, रेप और हत्या से जुड़ा है मामला, जानिये कोर्ट ने क्या कहा

पटना. पटना हाई कोर्ट ने रेप और हत्या करने के आरोप में सासाराम की एक अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने मामले को निचली अदालत को भेजते हुए नए सिरे से चार्ज फ्रेमिंग के स्टेज से ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया है।

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह तथा जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने डेथ रेफरेंस और फांसी की सजा के खिलाफ अभियुक्त बलराम सिंह की ओर से दायर क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। अभियुक्त बलराम सिंह की ओर से वरीय अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद सिंह ने कोर्ट को बताया कि निचली अदालत ने आनन फानन में तीन महीने में ही ट्रायल सम्पन्न कर फांसी की सजा सुना दी और सम्पुष्टि के लिए हाई कोर्ट को भेजा है।

उन्होंने कहा कि ट्रायल में कई प्रकार की त्रुटि है। इसलिए फांसी की सजा को सम्पुष्ट करना न्यायसंगत नहीं होगा। उन्होंने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर नए सिरे से ट्रायल कराने का अनुरोध किया, जिसे हाई कोर्ट ने मान लिया। अभियुक्त 39 वर्षीय बलराम सिंह पर एक 10 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करने का आरोप है।

मृत बच्ची की दादी की शिकायत पर डालमिया नगर पुलिस ने रेप, हत्या करने के साथ ही पॉक्सो एक्ट के तहत 15 नवम्बर 2020 को मामला दर्ज किया था और उसी दिन अभियुक्त ने आत्मसमर्पण भी कर दिया। जांच कर पुलिस ने 30 नवम्बर 2020 को चार्जशीट किया।

8 दिसंबर 2020 को चार्ज फ्रेम हुआ। 11 जनवरी 2021को गवाही शुरू हुई और 26 मार्च को समाप्त हो गया। 13 जुलाई को अंतिम सुनवाई हुई और 30 जुलाई को फैसला सुनाया गया। उसी फैसले की सम्पुष्ट करने के लिए निचली अदालत ने हाई कोर्ट को भेजा था, जिसे बतौर डेथ रेफरेंस दर्ज किया गया था।

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