पटना. रुपौली विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. 10 जुलाई को होने वाले उपचुनाव के प्रचार का शोर 8 जुलाई को थम जाएगा. ऐसे में सीएम नीतीश लोकसभा चुनावों के बाद हो रहे इस पहले चुनाव में जदयू की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं. खुद सीएम नीतीश ने 6 जुलाई को रुपौली में चुनाव प्रचार किया जबकि दर्जनों मंत्री और विधायक पिछले कुछ दिनों से रुपौली में कैंप किए हैं. रुपौली में जदयू हर हाल में तीर को निशाने पर लगाना चाहती है क्योंकि यह पूर्णिया लोकसभा में मिली हार के बाद सीएम नीतीश के लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है.
दरअसल, रूपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव जेडीयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफे के बाद हो रहा है. जेडीयू ने कलाधर मंडल को टिकट दिया है, जबकि आरजेडी ने बीमा भारती पर भरोसा जताया है. ऐसे में पूर्णिया में लोकसभा की लड़ाई हार चुकी पांच बार की विधायक बीमा भारती अब फिर से रुपौली में लालटेन जलाकर अपने सियासी अस्तित्व को बचाने में लगी है. इसके लिए बीमा ने उसी पप्पू यादव से मदद मांगी है जिनके खिलाफ कुछ दिनों पूर्व ही लोकसभा चुनाव में बीमा ने आक्रामक तेवर अपना रखा था.
गंगौता जाति का वोट अहम : रुपौली विधानसभा में 307030 वोटर है। जिसमे सर्वाधिक 75222 मतदाता मंडल जाति से आते है । यही कारण है कि राजद ने पांच बार की विधायक बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है तो एनडीए समर्थित जदयू उम्मीदवार कलानंद मंडल हैं जो मंडल जाति से आते है। वहीं लोजपा के टिकट पर एक बार विधायक रहे शंकर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी बनकर सभी को चुनौती दे रहे हैं। शंकर सिंह को एक ओर जहां सवर्ण जाति का समर्थन प्राप्त है। वहीं निर्दलीय होने के कारण और कई जाति का समर्थन उन्हें मिल रहा है। लिहाजा त्रिकोणात्मक संघर्ष रुपौली विधानसभा उपचुनाव में स्पष्ट नजर आ रहा है।
बीमा का दो दशक से कब्जा : जदयू उम्मीदवार कलाधर मंडल डबल इंजन की सरकार में हो रहे विकास कार्य और मंडल जाति को अपना वोट बैंक मान रहे हैं। साथ ही 25 वर्षों से चुनाव जीतती आ रही बीमा भारती से जनता नाखुश है ऐसा दावा है कलाधर मंडल का। एक तरफ बीमा भारती के पति का नाम बाहुबली में शुमार है और हाल के दिनों में हुई हत्या में उनकी संलिप्त को लेकर वारंट भी निकल चुका है। तो वही निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह भी बाहुबली में गिने जाते हैं। जबकि जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल पेशे से शिक्षक रहे हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाग्य आजमा चुके हैं।
शंकर सिंह करेंगे बड़ा खेला : जदयू और राजद की टक्कर के बीच किस्मत आजमा रहे निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व विधायक शंकर सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव में रुपौली विधानसभा से NDA प्रत्याशी को लीड कराने में उनकी अहम भूमिका रही. इसके बाद भी जदयू ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जो मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत पाए हैं. शंकर सिंह इस बार के चुनाव में अपने लिए बड़े समर्थन का दावा कर रहे हैं. ऐसे में राजद की बीमा भारती, जदयू के कलाधर मंडल और निर्दलीय शंकर सिंह रुपौली की लड़ाई में हैं. इन सबके बीच असली टेंशन एनडीए की है जिसे पूर्णिया लोकसभा में हार मिली थी. अब रुपौली में जदयू का तीर निशाने पर लगाकर सीएम नीतीश एनडीए के लिए नई उम्मीद देने की कोशिश में हैं.