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32 से 40 फिसदी लाने वाले शिक्षक बच्चों को देंगे सौ परसेंट अंक लाने का ज्ञान...बीपीएससी के रिजल्ट से खुली पोल...वाह रे बिहार का एजुकेशन सिस्टम

32 से 40 फिसदी लाने वाले शिक्षक बच्चों को देंगे सौ परसेंट अंक लाने का ज्ञान...बीपीएससी के रिजल्ट से खुली पोल...वाह रे बिहार का एजुकेशन सिस्टम

एक तरफ जहां देश में नौकरियों की कमी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, वहीं कई ऐसी नौकरियां भी हैं जहां  सरकार को योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं. बीपीएससी के एक रिपोर्ट के अनुसार काबिल कैंडिडेट नहीं मिलने के कारण शिक्षकों के पद खाली छोड़ दिए गए हैं. इन पदों के लिए बिहार सरकार ने बाकायदा विज्ञापन निकाले, परीक्षा ली और इंटरव्यू भी किए. ऐसा तब हुआ जब कुछ पदों के लिए तो आठ लाख तक आवेदन आए थे, लेकिन  कैंडिडेट मानक पर खरा नहीं उतरे. बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) से शिक्षक भर्ती परीक्षा के नतीजे जारी हुए तो चौकाने वाले सत्य भी सामने आए, योग्य शिक्षक नहीं मिलने के कारण बड़ी संख्या में पद खाली छोड़ दिए गए हैं आयोग ने अपने हीं नियम को शिथिल कर दिया गया  जो 75 परसेंट सीट भरने का नियम था . योग्य शिक्षक नहीं मिले तो नियम को भी शिथिल कर दिया है. उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भाषा के शिक्षकों के  67 परसेंट पद खाली पड़े हुए हैं. हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, ऊर्दू समेत छह भाषाओं में 9979 रिक्त पद थे जिन पर मात्र 3300 परीक्षार्थी सफल घोषित किए गए. भाषा शिक्षकों के 6679 पद खाली रह गए.

बीपीएससी ने मंगलवार की शाम सबसे पहले क्लास 11 और 12 यानी उच्च माध्यमिक स्कूलों में हिन्दी विषय के शिक्षकों के कुल 3221 खाली पद पर बहाली के लिए मात्र 525 सफल कैंडिडेट की लिस्ट जारी की. मात्र 17 परसेंट कैंडिडेट ही सफल हो सके जबकि 83 परसेंट अभ्यर्थी फेल हो गए और  2696 पद खाली रह गया.अंग्रेजी टीचर का रिजल्ट में 3535 रिक्त पद पर बहाली के लिए 2323 कैंडिडेट को काबिल माना गया है तो अंग्रेजी टीचर के 66 परसेंट पद भरते दिख रहे हैं जबकि 34 फीसदी ही खाली छूटे हैं. संस्कृत में 1289 रिक्त पदों पर 258 को सफलता मिली है. 

उर्दू शिक्षक का हाल तो बेहाल है. 1749 रिक्त पदों पर मात्र 145 अभ्यर्थी सफल हो सके,  मात्र 8 परसेंट पास हो सके, बाकी 92 फीसदी रह गए. मैथिली शिक्षक में 30 परसेंट रिजल्ट हुआ जिसके लिए 158 रिक्त पद पर 48 कैंडिडेट सफल घोषित हुए. बांग्ला टीचर के 27 पद पर मात्र 1 कैंडिडेट सफल हुआ. बीपीएससी ने ज्यादातर विषयों ने न्यूनतम कटऑफ मार्क्स पर रिजल्ट जारी किया है. अनारक्षित यानी सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 35 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांग महिलाओं के लिए 32 परसेंट कट ऑफ रखा गया है.इन नौकरियों के लिए उम्मीदवार न मिलने के पीछे बड़ा कारण राज्य का एजुकेशन सिस्टम है. जहां हर विषय समान तरीके से पढ़ाया जाता है, इसलिए विषयों के एक्सपर्ट की कमी हो रही है.

अब सवाल उठता है कि जो मास्टर साहब खुद परीक्षा में 40 फिसदी और 32 परसेंट मार्क्स पा रहे हैं वे बच्चों को कौन सी शिक्षा देंगे. जो शिक्षक खुद परीक्षा पास करने में पासिंग मार्क्स लेकर शिक्षक बन रहे हैं वे बच्चों को कौन सा महाज्ञान देंगे. बड़ी संख्या में पद रहते हुए भी भरा नहीं जा सका है तो सवाल उठना लाजमी है कि क्या बिहार में प्रतिभा की इतनी कमि हो गई है कि उम्मीदवार तक नहीं मिल रहे. 40 फिसदी पासिंग मार्क्स लाने में भी वे विफल रहे है. उससे बड़ा सवाल है कि जो खुद पासिंग मार्क्स लेकर शिक्षक बन रहे हैं उनसे शिक्षा विभाग में अमूलचूल परिवर्तन होगा?

राज्य के लिए बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है. आए दिन इसे लेकर सवाल पूछे जाते हैं. लेकिन हाल ये हो गया है कि योग्य उम्मीदवार तक नहीं मिल रहे हैं तो बिहार के प्रतिभा के साथ शिक्षा विभाग पर भी सवाल उठना लाजमी है. आखिर 32 से 40 फिसदी अंक लाने वाले मास्टर साहब कौन सा तीर मारते हैं ये समय बताएगा.


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