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पीएम मोदी के ‘मन की बात’ में बाघ, घोड़े और गैंडे के जिक्र ने बटोरी सुर्खियां, जानिए कौन हैं मोदी के मन पर राज करने वाले ये जानवर

पीएम मोदी के ‘मन की बात’ में बाघ, घोड़े और गैंडे के जिक्र ने बटोरी सुर्खियां, जानिए कौन हैं मोदी के मन पर राज करने वाले ये जानवर

दिल्ली. मन की बात के मासिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तीन विशेष जानवरों का जिक्र किया. उन्होंने एक बाघ, एक घोड़े सहित गैंडे के बारे में बताया तो अचानक से इन जानवरों ने सुखियाँ बटोर ली. 

मोदी ने मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघिन का जिक्र करते हुए कहा कि बाघिन ने दुनिया को अलविदा कह दिया. वन विभाग ने इसे टी-15 और लोगों ने कॉलर वाली बाघिन नाम दिया था. लोगों को लगा जैसे उनका कोई अपना दुनिया छोड़ गया हो. इसका लोगों ने अंतिम संस्कार किया। दुनिया में प्रकृति और वन्यजीवों के लिए भारतीयों के प्यार के लिए तारीफ की जा रही है. इस बाघिन ने 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर बढ़ा किया. भारतीय हर चेतन जीव से संबंध बना लेता है.

इस दौरान उन्होंने गणतंत्र दिवस में शामिल एक घोड़े विराट की आखिरी परेड और विदाई पर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, गणतंत्र दिवस की परेड में प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड के चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आखिरी परेड में हिस्सा लिया. 2003 में ये घोड़ा राष्ट्रपति भवन आया था. हर बार परेड को लीड करता था. जब विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत होता था, तब भी वह अपनी भूमिका निभाता था. इस वर्ष आर्मी दिवस पर सेना प्रमुख ने विराट को सम्मान दिया. उसकी विराट सेवाओं को देखते हुए भव्य तरीके से उसे विदाई दी गई.

उन्होंने कहा, एक सींग वाला गैंडा हमेशा से असमिया संस्कृति का हिस्सा रहा है. भारत रत्न भूपेन हजारिका जी का गीत सबके कानों में गूंजता होगा. इसका अर्थ है काजीरंगा का हराभरा परिवेश, हाथी और बाघ का निवास. एक सींग वाले गैंडे को पृथ्वी देखे, पक्षियों का कलरव सुने. असम की हथकरघा पर बुनी गई पोषाकों में भी गैंडे की आकृति दिखाई देती है. जिसकी इतनी बड़ी महिमा है,उसे भी संकट का सामना करना पड़ता था. तस्कर इन्हें मार डालते थे. 

उन्होंने कहा कि पिछले 7 साल में असम के विशेष प्रयास से गैंडों के शिकार के खिलाफ अभियान चलाया गया. 22 सितंबर को वर्ल्ड राइनो डे के मौके पर तस्करों से जब्त 2400 से ज्यादा सींग जला दिए गए थे. ये तस्करों के लिए सख्त संकेत था. अब असम में गैंडों के शिकार में लगातार कमी आ रही है. 2013 में 37 गैंडे मारे गए थे 2020 में 2 और 2021 में एक गैंडे के शिकार का मामला सामने आया है.


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