N4N DESK : तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल आप किस कारण से खुद को भारत के बेटे के रुप में देखते हैं का बड़ा ही दिलचस्प जवाब दिया है। चीनी और अमेरिकी मीडिया द्वारा पूछे गए इस सवाल का जवाब देते हुए दलाई लामा ने कहा कि मेरा दिमाग नालंदा के विचारों से भरा है और मेरा शरीर भारतीय व्यंजन खाकर चल रहा है। इसलिए शारीरिक और मानसिक रूप से मैं इस देश से हूं और इस तरह मैं भारत का बेटा हुआ।
1959 से भारत में हैं दलाई लामा
13वें दलाई लामा ने 1912 में तिब्बत को स्वतंत्र घोषित कर दिया था, लेकिन 14वें दलाई लामा के चुनने की प्रक्रिया के दौरान चीन के लोगों ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया। तिब्बत को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा। वहीं, कुछ सालों बाद अपनी संप्रभुता की मांग उठाते हुए तिब्बत के लोगों ने भी चीनी शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया, हालांकि विद्रोहियों को इसमें सफलता नहीं मिली। जब दलाई लामा को लगा कि वह चीनी चंगुल में बुरी तरह से फंस जाएंगे, तब उन्होंने भारत का रुख किया। साल 1959 में दलाई लामा के साथ भारी संख्या में तिब्बती भी भारत आए थे।
दलाई लामा के कारण भारत से खफा रहता है चीन
भारत में दलाई लामा को शरण मिलना चीन को अच्छा नहीं लगा, उस वक्त चीन में माओत्से तुंग का शासन था। दलाई लामा और चीन के बीच शुरू हुआ विवाद अभी तक खत्म नहीं हुआ है। हालांकि दलाई लामा को दुनियाभर से सहानुभूमि मिली, इसके बावजूद वे निर्वासन की ही जिंदगी जी रहे हैं। दलाई लामा भी अब खुद को भारत का पुत्र बोलने में पीछे नहीं रहते। यहीं कारण है कि दलाई लामा के भारत में रहने से चीन से रिश्ते अक्सर खराब रहते हैं। बात दें कि 1989 में दलाई लामा को शांति का नोबेल सम्मान मिला था।