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मंत्रियों -विधायकों के बनने वाले बंगले के लिए काटे जाएंगे 29 हजार पेड़, योजना के विरोध में शुरू हुआ 'चिपको आंदोलन'

मंत्रियों -विधायकों के बनने वाले बंगले के लिए काटे जाएंगे 29 हजार पेड़, योजना के विरोध में शुरू हुआ 'चिपको आंदोलन'

DESK. लाखों पेड़ों को काटने से बचाने के लिए 1970 के दशक में उत्तराखंड में वन संरक्षण आंदोलन यानी चिपको आंदोलन चला था. आधा दशक बीतने के बाद एक बार फिर से हजारों पेड़ों को कटने से बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत की गई है. महिलाओं और बच्चों सहित तमाम उम्र के लोगों पेड़ों के चारों ओर अपनी बाहें लपेटकर खड़े हो गए ताकि पेड़ों को काटा ना जा सके. मंत्रियों -विधायकों के बनने वाले बंगलों के लिए एक ही पार्क से 29 हजार पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव है. लेकिन आम लोगों को सरकार का यह प्रस्ताव रास नहीं आया है और उन्होंने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए 'चिपको आंदोलन' शुरू किया है. 

हरियाली को भेंट चढ़ाकर मंत्रियों -विधायकों के बनने वाले बंगलों का यह प्रस्ताव भोपाल का है. मध्य प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ अब आम लोगों ने अनोखा प्रदर्शन शुरू किया है. पाल के तुलसी नगर और शिवाजी नगर इलाके में माननीयों के बंगले बनना प्रस्तावित हैं.यहां पर बड़ी तादाद में लगे पेड़ों को काटने की तैयारी की जा रही है. स्थानीय लोगों को जब पता चला कि उनके इलाके के सबसे बड़े पार्क से करीब 29 हजार पेड़ काटे जाएंगे तो उन्होंने इसका जमकर विरोध जताया. स्थानीय रहवासियों ने पेड़ों से चिपकर अनोखा प्रदर्शन किया है और इसे चिपको आंदोलन नाम दिया है. 

स्थानीय पार्षद गुड्डू चौहान के नेतृत्व में महिलाओं और स्थानीय रहवासियों ने पेड़ से छिपकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान पार्षद ने कहा कि इस पूरे क्षेत्र में 60 हजार से अधिक पेड़ है. भोपाल के 12 फीसदी हिस्से पर ग्रीनरी है, इसमें से चार प्रतिशत इस इलाके में है. यदि पेड़ काटे गए तो पर्यावरण को बड़ा नुकसान होगा. वहीं स्थानीय महिला ने कहा इन पेड़ों के हमारे बुजुर्गो ने अपने हाथो से लगाया है. हम लोगों का इन पेड़ों से भावनात्मक लगाव है. इसीलिए सरकार हमे नही मंत्री विधायको के किसी दूसरी स्थान पर भेजे. अगर सरकार ऐसा करती है, तो इससे पर्यावरण को भी नुकसान होगा.

पेड़ों के चारों और लिपटकर विरोध करती महिलाएं 

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