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बीजेपी के बाद अब राजद और जदयू के बदले जाएंगे प्रदेश अध्यक्ष ? विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी फेरबदल, इन नेताओं को मिल सकती है बड़ी जिम्मेवारी

बीजेपी के बाद अब राजद और जदयू के बदले जाएंगे प्रदेश अध्यक्ष ? विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी फेरबदल, इन नेताओं को मिल सकती है बड़ी जिम्मेवारी

PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने स्तर से तैयारियों में जुटी हुई है। इस दौरान बिहार के तीन बड़े दल राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में जनता ने सभी पार्टियों का बड़ा झटका दिया है। जनता ने किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया। हालांकि जदयू और टीडीपी के साथ मिलकर बीजेपी ने पीएम मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार केंद्र में एनडीए की सरकार बनाने में सफल रही। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से ही सभी पार्टियां अपने स्तर से अपनी पार्टी में बदलाव कर उसे और मजबूत करने की कोशिश कर रही है। 

बीजेपी के रास्ते पर राजद-जदयू

बिहार में 40 सीटों पर हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए के खेमे में 30 सीटें आई, तो वहीं महागठबंधन को 9 सीटें मिली। एक सीट पूर्णिया पर निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने कब्जा किया। वहीं बिहार में 2014 में 33 और 2019 में 39 सीट जीतने वाली एनडीए को 9 सीटों का नुकसान सहना पड़ा। जिसके बाद से ही बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कई फेरबदल कर रही है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के पहले लव-कुश समीकरण को साधने के लिए सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। हालांकि इससे लोकसभा चुनाव में बीजेपी को खासा फायदा नहीं हुआ। वहीं लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के कुछ महीने बाद ही बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दिलीप जायसवाल को दे दी। 

अब तक बीजेपी के दो प्रदेश अध्यक्ष बदले गए

दिलीप जायसवाल मूल रूप से खगड़िया जिले के रहने वाले हैं। उनकी सीमांचल क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है।वे पूर्णिया, अररिया और किशनगंज क्षेत्र से तीन बार के एमएलएसी हैं। जायसवाल 20 साल तक बीजेपी के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। इससे पहले सम्राट चौधरी 16 महीने तक प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। उनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा गया और जनवरी 2024 में राज्य की सत्ता में भी परिवर्तन हुआ है। चौधरी को नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया है। सम्राट से पहले संजय जायसवाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे।

36 फीसदी अतिपिछड़ा वर्ग को साधने के लिए BJP का मास्टर प्लान

वहीं विधानसभा चुनाव के पहले दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे बीजेपी का लक्ष्य बिहार के 36 फीसदी अतिपिछड़ा वर्ग को साधना है। दरअसल, दिलीप जायसवाल कलवार जाति से ताल्लुक रखते हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने राज्य के सबसे बड़े वर्ग को साधने के लिए ये रणनीति बनाई। यही वजह है कि बीजेपी ने 16 महीने बाद एक बार फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के बड़े चेहरा माने जाने वाले दिलीप पर दांव लगाया है। इसके साथ ही पार्टी ने अपने कोर वोटर्स का भी ख्याल रखा है। बिहार में सबसे ज्यादा 36 फीसदी अति पिछड़ा वर्ग से जुड़ी आबादी है। राज्य में 27.12 फीसदी पिछड़ा वर्ग है। अनुसूचित जाति वर्ग 19.65 फीसदी है। सामान्य वर्ग की 15.52 फीसदी आबादी है।

लव-कुश समीकरण पर बनी रहेगी JDU?

बता दें कि, बीजेपी की राह पर ही अब जदयू और राजद भी चल रही है। माना जा रहा है कि जदयू और राजद भी बीजेपी के हथकंडे अपना कर अपने वोटर्स को साधने की कोशिश करेंगे। दरअसल, लोकसभा चुनाव में जदयू और राजद को भी नुकसान हुआ है। सीएम नीतीश ने लोकसभा चुनाव  के पहले सभी जिलों में रोड शो और सभा को संबोधित किया। जिसके बाद भी 16 सीटों पर चुनाव लड़ी जदयू को मात्र 12 सीट पर जीत मिली। वहीं विधानसभा चुनाव के पहले जदयू पार्टी में कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। बीते दिन सीएम नीतीश ने प्रदेश कमिटी भंग कर दी। जिसके बाद विधानसभा चुनाव को लेकर नए सिरे से प्रदेश कमिटी का गठन हुआ। वहीं अब सूत्रों की मानें तो जदयू के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं। हालांकि जदयू शुरू से ही लव कुश समीकरण को लेकर चलती है। यानी जब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह थे तब भी प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ही थे। वहीं अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद सीएम नीतीश हैं ऐसे में सीएम 'कुशवाहा' को ही अपना प्रदेश अध्यक्ष बना सकते हैं। 

तेजस्वी उठा सकते हैं बड़ा कदम

वहीं राजद की बात करें तो लोकसभा चुनाव में भले ही राजद सुप्रीमो लालू यादव ने अपनी सारी मेहनत अपनी बेटियों के चुनाव क्षेत्र तक सीमित रखी लेकिन तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव में जमकर मेहनत की। उन्होंने 251 से अधिक सभाओं को संबोधित किया। इस दौरान तेजस्वी यादव ने MY के साथ BAAP के समीकरण पर जोड़ किया। उन्होंने कहा कि राजद केवल MY की पार्टी नहीं बल्कि BAAP की भी पार्टी हैं। MY यानी मुस्लिम और यादव। वहीं BAAP य़ानी B का मतलब- बहुजन, A का मतलब अगड़ा, A का मतलब आधी आबादी और P का मतलब Poor यानी गरीब। तेजस्वी यादव ने पूरे चुनावी सभा के दौरान इस बात पर अधिक जोड़ दिया। इससे राजद को उतनी फायदा तो नहीं मिली जितनी की उम्मीद तेजस्वी ने की थी लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाने वाली राजद को 2024 के लोकसभा चुनाव में 4 सीटें मिली। 

MY समीकरण को साधने की तैयारी में राजद

ज्ञात हो कि सीएम नीतीश 28 जनवरी 2024 को महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ नई सरकार बना ली थी। जिसके बाद से ही तेजस्वी यादव 2025 में बिहार में महागठबंधन की सरकार को बनाने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव की पार्टी राजद भी बीजेपी के नक्शे कदम पर चलकर अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदल सकती है। फिलहाल राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह हैं। जगदानंद लंबे समय से राजद के प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी में कई बदलाव भी किए गए हैं। लेकिन अब राजनीति जानकारों की माने तो राजद अपने प्रदेश अध्य़क्ष को बदल सकती है। राजद अपने सबसे पुराने MY समीकरण को साधने के लिए पार्टी से किसी मुस्लिम नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंप सकती है। ऐसे में अब्दुल बारी सिद्दीकी का नाम सबसे आगे है। माना जा रहे हैं कि अब्दुल बारी सिद्दीकी राजद के नए प्रदेश अध्यक्ष बन सकते हैं। हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टी क्या क्या बदलाव करती हैं ये तो वक्त ही बताएगा। 

पटना से रंजन की रिपोर्ट

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