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रुपौली में जदयू प्रत्याशी के हारते ही उपेंद्र कुशवाहा ने खोला मोर्चा, एनडीए नेताओं को बड़ी नसीहत, तेजस्वी को नहीं बख्शा

रुपौली में जदयू प्रत्याशी के हारते ही उपेंद्र कुशवाहा ने खोला मोर्चा, एनडीए नेताओं को बड़ी नसीहत, तेजस्वी को नहीं बख्शा

पटना. रुपौली विधानसभा उपचुनाव में जदयू उम्मीदवार कलाधर मंडल की हार के बाद एनडीए के घटक दलों में इसे लेकर चिंता जताने का दौर शुरू हो गया है. राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने सबसे पहले मोर्चा खोला है. उन्होंने शनिवार को रुपौली के चुनाव परिणाम पर चिंता जताई. उपेन्द्र ने इसे लेकर एनडीए को नसीहत भी दी है और राजद पर भी हमला बोला है. रुपौली में निर्दलीय शंकर सिंह ने जदयू के कलाधर मंडल को 8 हजार वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया है जबकि राजद की प्रत्याशी बीमा भारती तीसरे नम्बर पर रही. ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवार से एनडीए उम्मीदवार की हुई हार पर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी चिंता जाहिर की है. 

उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मिडिया पर चुनाव परिणाम को लेकर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा- 'रुपौली (पुर्णिया) में जद (यू.) उम्मीदवार की हार एनडीए के लिए माथे पर शिकन पैदा करने वाली है। परन्तु संतोष इस बात का है कि जनता राज्य में 2005 के पहले की स्थिति के जिम्मेवार पार्टी को बख्शने को अभी भी तैयार नहीं है। उप चुनाव का यह साफ संदेश है।' हालाँकि कुशवाहा ने राजद को निशाने पर लिया है लेकिन एनडीए के बिहार में सत्तासीन रहने के बाद भी रुपौली में हार जाने को बड़ा झटका जरुर करार दिया है. 

दरअसल, प्रतिष्ठा की लड़ाई में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपनी साख नहीं बचा पाए हैं. जदयू और राजद दोनों दलों के प्रत्याशियों को रुपौली विधानसभा उपचुनाव में वहां के मतदाताओं ने नकार दिया है. शनिवार को आए चुनाव परिणाम में रुपौली से निर्दलीय शंकर सिंह ने जदयू के कलाधर मंडल को हराकर इतिहास रच दिया. एक ओर जहां कलाधर मंडल के लिए सत्ताधारी एनडीए की ओर से सीएम नीतीश सहित, कई केंद्रीय मंत्रियों और बिहार एनडीए के दिग्गज नेताओं ने चुनाव प्रचार किया था. वहीं राजद और महागठबंधन की ओर से बीमा भारती के लिए जोरदार चुनाव प्रचार किया गया. लेकिन निर्दलीय शंकर सिंह ने अकेले ही सबको धूल चटाने में सफलता पाई. 

कौन हैं शंकर सिंह : वर्ष 2005 में शंकर सिंह ने लोजपा प्रत्याशी के तौर पर विधायक का चुनाव जीता था. हालाँकि बाद में हुए विधानसभा चुनावों में शंकर सिंह ने रुपौली में कई बार किस्मत आजमाई लेकिन बीमा भारती लगातार उन्हें चुनाव हराते रही. बीमा भारती ने 2000, 2005, 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की. वहीं शंकर सिंह भले ही चुनाव हारते रहे हों लेकिन उन्होंने अपने आप को इस इलाके की सियासी गतिविधियों में खुद को सक्रिय रखा. अलग अलग चुनावों में उन्होंने अपने कई लोगों को उतारा जिसमें कई बार उनके लोगो को सफलता मिली. मौजूदा समय में शंकर सिंह की पत्नी सुनीता सिंह जिला परिषद सदस्य हैं. दोनों पति-पत्नी राजनीती में पूरी तरह सक्रिय हैं. 

पप्पू यादव का नहीं चला सिक्का : पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा चुनावों में भले ही बीमा भारती से मुकाबला किया था लेकिन विधानसभा उपचुनाव में उसी बीमा को मदद करने रुपौली में उतर गये. लेकिन पप्पू यादव को यहां बड़ा झटका लगा है. पप्पू यादव के तमाम दावे रुपौली में फेल हो गये. वहीं शंकर सिंह ने पप्पू यादव की भांति ही अपने बलबूते निर्दलीय ही चुनाव जीतकर इतिहास बना डाला.

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