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बिहार सरकार ने CBI को सुपुर्द किया केस, पिछले साल 8 करोड़ के गबन का दर्ज हुआ था मुकदमा

बिहार सरकार ने CBI को सुपुर्द किया केस, पिछले साल 8 करोड़ के गबन का दर्ज हुआ था मुकदमा

PATNA: बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने गया के मुफस्सिल थाने में दर्ज केस को सीबीआई को सुपुर्द कर दिया है। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। बता दें कि पिछले साल गया के एसबीआई मानपुर शाखा में करीब 8 करोड़ का घोटाला हुआ था। बैंक प्रबंधन की तरफ से गया के मुफस्सिल थाने में केस दर्ज कराया था। 

गृह विभाग ने जारी किया आदेश

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में प्रथम शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार ने गया मुफस्सिल थाना कांड संख्या 267/ 2020 जो 18 जुलाई 2020 जिसमें धारा 467, 468, 471, 409, 420 और 34 आईपीसी जो भारतीय स्टेट बैंक मानपुर गया शाखा में धोखाधड़ी के संबंधित है कि अनुसंधान,प्रयवेक्षण एवं अपेक्षित कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना के सदस्यों को समूचे बिहार में शक्तियों एवं अधिकारिता के प्रयोग की सहमति देते हैं.


जानिए पूरा मामला

बता दें,18 जुलाई 2020 को एसबीआइ मानपुर के शाखा प्रबंधक सुजित कुमार दास ने मुफस्सिल थाने में दिए आवेदन में कहा कि बैंक के फील्ड आफिसर प्रीति सिंह व पूर्व लेखापाल ने नियमों को दरकिनार कर पिता समेत परिवार के सदस्यों के नाम पर कुल 60 खाते खोले। प्रीति रामपुर थाना क्षेत्र के नारायणगढ़ मोहल्ला निवासी विजय कुमार की पुत्री है, जबकि पूर्व लेखापाल डोमन चौधरी मोहल्ला नवीनगर जिला नवादा का रहने वाला है। आवेदन में कहा गया था कि प्रीति व उसके पिता विजय कुमार के नाम पर 12-12 खाते, रिकी कुमारी पिता पंकज कुमार मोहल्ला नारायण गढ़ थाना रामपुर के नाम पर नौ खाते, उर्मिला सिंह निवासी मोहल्ला पुरानी गोदाम थाना कोतवाली जिला गया के नाम पर दो, श्रवण कुमार सिंह निवासी तेलमार जिला नालंदा के नाम पर चार खाते खोले गए हैं। आश्चर्य की बात है कि इसने उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लालगंज निवासी विवेक कुमार सिंह के सात खाते भी खोले हैं। इसी तरह शुभम कुमार निवासी ग्राम पोस्ट तेलमार, नालंदा के नाम पर 14 खाते खोले गए हैं। 

7 करोड़ 96 लाख का घपला

शाखा प्रबंधक ने अपने आवेदन में बताया था कि क्षेत्राधिकारी व लेखापाल ने पद का दुरुपयोग करते हुए व्यक्तिगत लाभ के लिए बैंक शाखा के साथ उपरोक्त खाताधारकों जो प्रीति सिंह के ही नजदीकी रिश्तेदार हैं, से मिलकर वित्तीय अनियमितता की है। इन पदाधिकारियों द्वारा की अनियमितता करीब सात करोड़ 96 लाख 916 रुपये की अनुमानित है। इतनी बड़ी राशि की क्षति बताई गई है। यह मामला आंतरिक जांच में सामने आया. केस दर्ज होने के बाद गया की मुफश्सिल थाने की पुलिस ने जांच शुरू की थी। अब इस केस को सीबीआई के हवाले कर दिया गया है।



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