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नए अवतार में बिहार पुलिस : साल 2024 में अलग अंदाज में दिखेगी बिहार पुलिस, अब 75 दिनों में हो जाएगा केस का निपटारा

नए अवतार में बिहार पुलिस : साल 2024 में अलग अंदाज में दिखेगी बिहार पुलिस, अब 75 दिनों में हो जाएगा केस का निपटारा

PATNA: बिहार में बढ़ते अपराध पर रोक लगाने के लिए पुलिस ने कमर कस लिया है।अपराधियों पर नकेल कसने के लिए  बिहार पुलिस सख्त रवैया अपनाने वाली है। साल 2024 साल में बिहार पुलिस अपने कार्यशैली में कई तरह के बदलाव करने जा रही है। इसी क्रम में 1 जनवरी 2024 से बिहार पुलिस एक नया अभियान शुरू कर रही है। जिसके तहत पुलिस को 75 दिनों के अंदर हर हाल में अपराधिक कांडों का अनुसंधान करना होगा। इसके साथ ही बिहार पुलिस में 2024 में पुलिसिंग में आधारभूत परिवर्तन को लेकर कुल 10 ऐसे बदलाव लाए जाएंगे। इन बदलाव को भी जनवरी में अलग-अलग तिथियों को लागू किया जाएगा।

दरअसल, 1 जनवरी 2024 से बिहार पुलिस मिशन जांच @ 75 दिन शुरू करेगी। जिसके तहत 75 दिनों में अनुसंधान पूरा करने के लक्ष्य को लेकर जिलावार और थानावार कांडों के अनुसंधान की समीक्षा कर मासिक रैंकिंग की जाएगी। इसकी जानकारी अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय जेएस गंगवार ने दी है। एडीजी ने बताया कि नए कांडों के साथ ही पूर्व में दर्ज किए कांडों के अनुसंधान को भी इस अभियान में शामिल किया जाएगा। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य पुलिस बल प्रबंधन को जनोपयोगी और नागरिक केंद्रित बनाना एवं सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना है। एडीजी ने बताया कि फिलहाल बिहार में प्रतिवर्ष 3 लाख 3.50 लाख कांड दर्ज किए जाते हैं। वहीं आपराधिक कांड के अनुसंधान करने में कम से कम 261 दिन लगता है। मिशन जांच @75 दिन लागू होने के बाद कांडों के अनुसंधान की संख्या और गुणवत्ता में सुधार आएगा। लक्ष्य को हासिल करने के लिए अनुसंधान के क्रम में फॉरेसिंक साइंस के आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाएगा। वहीं, कानूनी बारीकियों को लेकर उचित मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। फोटोग्राफी एवं अन्य साधनों का भी प्रयोग होगा। 

वहीं इन बदलाव के तहत अनुमान लगाया जा रहा कि देश में पहली बार बिहार पुलिसिंग में आधारभूत परिवर्तन करेगा। इस बदलावों की जिम्मेदारी अपराध अनुसंधान विभाग (CID)को सौंपी गई है। महिला प्रताड़ना, अनुसूचित जाति-जनजाति, पॉक्सो अधिनियम में औसतन अधिकतम 60 दिनों में अनुसंधान पूर्ण करने का लक्ष्य है। इसे अधिनियम के अनुसार ही पूरा किया जाएगा। एडीजी गंगवार के अनुसार, कांडों के अनुसंधान में तेजी लाने के लिए अनुसंधानकों (आईओ) की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है। राज्य में 27,500 आईओ की जरूरत है। वर्ष 2023 जनवरी तक राज्य में मात्र 9200 आईओ थे। अनुसंधान कार्य के लिए पीटीसी परीक्षा उत्तीर्ण सिपाहियों को भी शक्ति प्रदान की गई है। नियुक्ति, प्रोन्नति एवं प्रशिक्षण के बाद जनवरी में आईओ की संख्या बढ़कर 20 हजार हो जाएगी। इससे अनुसंधान कार्य में तेजी आएगी।

साथ ही कांडों के सुपरविजन में भी बदवाल लाया जा रहा है। दरअसल, पूर्व में दो स्तरों पुलिस निरीक्षक एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के स्तर पर कांडों का सुपरविजन किया जाता था। अब कांडों की प्रकृति के अनुसार चार स्तरों पर सुपरविजन की शक्ति सौंपी गई है। छोटे कांडों का थानाध्यक्ष, अन्य कांडों का पुलिस निरीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक सुपरविजन करेंगे जबकि गंभीर प्रक्रृति के कांडों का जिला पुलिस अधीक्षक के स्तर से सुपरविजन किया जाएगा।

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