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कांवड़ यात्रा पर भाजपा सरकार के फरमान से NDA में रार, जदयू की आपत्ति के बाद एक और बड़ा दल आया विरोध में, बीजेपी नेता भी परेशान

कांवड़ यात्रा पर भाजपा सरकार के फरमान से NDA में रार, जदयू की आपत्ति के बाद एक और बड़ा दल आया विरोध में, बीजेपी नेता भी परेशान

पटना. सावन में निकलने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कई फरमान जारी किए हैं. इसमें यात्रा मार्ग में दुकान लगाने वालों को अपना नाम और पता नेमप्लेट पर लगाना होगा. इससे दुकानदार की जाति और धर्म की जानकारी आम श्रद्धालुओं को पता लगेगी. लेकिन योगी सरकार के इस फैसले का एनडीए के घटक दलों की ओर से विरोध शुरू हो गया है. बिहार में सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने पहले ही इस फैसले पर आपत्ति जताई है. जदयू के साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख़्तार अब्बास नकवी भी अपनी चिंता जता चुके हैं. इन सबके बीच एनडीए के एक और घटक दल ने कांवड़ यात्रा पर योगी सरकार के फरमान पर हैरानी जताई है. 

जदयू की नसीहत : जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि इससे भी बड़ी (यूपी में) कांवड़ यात्रा बिहार में होती है. वहां ऐसा कोई आदेश प्रभावी नहीं है. लगाए गए ये प्रतिबंध 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' का उल्लंघन है, जिसकी बात प्रधानमंत्री करते हैं. उन्होंने कहा कि यह आदेश बिहार, राजस्थान, झारखंड में प्रभावी नहीं है. इसकी समीक्षा हो तो अच्छा रहेगा. गौरतलब है कि बिहार और झारखंड में सुल्तानगंज से बाबाधाम (देवघर) तक 100 किलोमीटर से ज्यादा की कांवड़ यात्रा होती है. इसके अलावा भी हरिहरनाथ, गरीबनाथ, अशोक धाम जैसे शिव मंदिरों के लिए लाखों लोग कांवड़ लेकर यात्रा करते हैं. 

धर्म और जाति को बढ़ावा देने पर आपत्ति : जदयू की चिंताओं के बाद राष्ट्रीय लोक दल ने भी योगी सरकार के फैसले पर हैरानी जताई है. रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि गांधी जी, चौधरी चरण सिंह और अन्य महानुभावों ने धर्म और जाति को पीछे रखने की बात कही है। अब नेता राजनीति में धर्म और जाति को आगे बढ़ा रहे हैं. त्यागी ने कहा कि मुझे लगता है कार्रवाई सही नहीं है. आप सड़क पर ठेलों पर किसी से अपना नाम क्यों लिखवाते हैं? उन्हें काम करने का अधिकार है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह परंपरा बिल्कुल गलत है. यह ग्राहक पर निर्भर है, वे जहां चाहें वहां से खरीदारी कर सकते हैं. मैं राजनेताओं से पूछना चाहता हूं - क्या शराब पीने से आप धार्मिक रूप से भ्रष्ट नहीं हो जाते? क्या ऐसा तभी होता है जब आप मांस खाते हैं? तो फिर शराब पर रोक क्यों नहीं है? वे शराब के बारे में क्यों नहीं बोलते? क्योंकि व्यापार करने वालों की सांठगांठ है, यह ताकतवर लोगों का खेल है. ये छोटी-छोटी दुकानें गरीबों द्वारा लगाई जाती हैं। तो आप उन पर उंगली उठा रहे हैं. मैं मांग करूंगा कि शराब पर प्रतिबंध लगाया जाये.

नकवी ने जताई चिंता : पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी योगी सरकार के फैसले पर एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था. इसे योगी सरकार के आदेश के विरोध में देखा गया. नकवी ने कहा था, कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली ..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए...."जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात। रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात।। हालांकि बाद में नकवी अपने रुख से पलट गये. उन्होंने योगी सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि राज्य सरकार के आदेश से साफ, कांवड़ियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया फैसला, कुछ लोग कर रहे सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश।" 

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