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'अगली जनगणना का हिस्सा हो जाति अधारित गणना, लेकिन'...चिराग पासवान ने पीएम मोदी से कर दी बड़ी मांग, UCC को लेकर क्या बोले? जानिए...

'अगली जनगणना का हिस्सा हो जाति अधारित गणना, लेकिन'...चिराग पासवान ने पीएम मोदी से कर दी बड़ी मांग, UCC को लेकर क्या बोले? जानिए...

PATNA: देशभर में जातीय जनगणना और यूसीसी को लेकर राजनीतिक गरमाई रहती है। वहीं अब इस मामले में लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास) के चीफ और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी बड़ा बयान दिया है। चिराग पासवान ने जाति जनगणना करने और यूसीसी को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने देश भर में जातीय जनगणना करने का समर्थन तो किया लेकिन साथ ही उन्होंने एक शर्त भी रखी है। 

जातिय जनगणना के लिए चिराग की शर्त

दरअसल, चिराग पासवान ने जातीय जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि, जाति आधारित गणना अगली जनगणना का हिस्सा होना चाहिए। क्योंकि समुदाय आधारित विकास योजनाओं के लिए पर्याप्त धन आवंटन के लिए अक्सर विशिष्ट आंकड़ों की जरूरत होती है। साथ ही अदालतें भी कई बार विभिन्न जातियों की जनसंख्या के आंकड़े मांगती हैं। हालांकि, जातीय जनगणना के आंकड़े सरकार के पास ही रखे जाने चाहिए और सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा पिछले साल कराए गए जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक किए गए। अब राज्य में लोगों को कुल जनसंख्या में उनकी जातियों के प्रतिशत के आधार देखा जा रहा है। इससे समाज में बंटवारा होता है, इसलिए वह जातीय जनगणना के आंकड़े जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। 

यूसीसी को लेकर पार्टी का पक्ष किया स्पष्ट

वहीं चिराग ने यूसीसी को लेकर कहा है कि जब तक उनको इसका ड्राफ्ट नहीं मिल जाता तब तक वो इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। एक साथ चुनाव कराने और यूसीसी के बारे में एनडीए में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने यूसीसी को लेकर कहा कि जब तक उनके सामने कोई ड्राफ्ट नहीं रखा जाता, तब तक वह कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) देशभर में एक साथ चुनाव कराने का पुरजोर समर्थन करती है।

क्या होता है UCC

UCC की फुल फॉर्म 'समान नागरिक संहिता' (Uniform Civil Code) होती है। बता दें कि UCC को भारत के संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 44 के तहत परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। अगर यह कानून लागू होता है तो देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना। अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा।

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