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सीएम नीतीश ने विधायकों को दिया 'गुरुमंत्र', एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में मानसून सत्र में विपक्ष से निपटने का बना प्लान

सीएम नीतीश ने विधायकों को दिया 'गुरुमंत्र', एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में मानसून सत्र में विपक्ष से निपटने का बना प्लान

पटना. बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र में विपक्ष को करारा जवाब देने की रणनीति बनाने को सोमवार को एनडीए विधानमंडल दल की बैठक हुई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में उप मुख्यमंत्री द्वय सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा भी मंचासीन रहे. बैठक में सत्र के दौरान विपक्ष के हमलों का मुकाबला करने और सरकार की उपलब्धियों को सदन में प्रभावी ढंग से रखने की रणनीति पर चर्चा की गई. मंत्री प्रेम कुमार ने सदन में कैसे सुचारू रूप से कार्यवाही को आगे बढ़ाने में सत्ता पक्ष भूमिका अदा कर सकता है इस पर सदस्यों को बताया. साथ ही विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने के लिए जिन मुद्दों को उठाया जा सकता है उससे निपटने पर चर्चा की गई. 

सत्र के पहले दिन वित्तीय वर्ष 2024-25 का पहला अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा. 26 जुलाई को इस पर चर्चा होगी और सरकार जवाब देगी. इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक भी पारित किए जाएंगे. वहीं विपक्ष की ओर से सरकार को राज्य में बढ़ते अपराध, पुलों के गिरने, बेकाबू महंगाई, पेपर लीक जैसे मुद्दों पर घेरने तैयारी है. ऐसे में इन तमाम मुद्दों पर सत्ता पक्ष के सदस्य प्रभावी तरीके से सदन में कैसे निपटे इसे लेकर सीएम नीतीश की अध्यक्षता में हुई बैठक में महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए. इस सत्र में वित्तीय कार्य के साथ-साथ विधायी कार्य भी निष्पादित किये जाएंगे, इसको लेकर भी बैठक में चर्चा की गई. 

वहीं जदयू विधानमंडल दल की बैठक सोमवार शाम जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी के आवास पर होगी. इस बैठक की अध्यक्षता भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. बैठक में जदयू के सभी विधायक और एमएलसी शामिल होंगे. इसमें जदयू के सदस्यों को विधान मंडल सत्र के दौरान विपक्ष के आरोपों का समुचित जवाब देने और सत्ता पक्ष की ओर से सरकार के जनोपयोगी मुद्दों को प्रभावी ढंग से बताने की विस्तृत रुपरेखा बनाई जा सकती है. सीएम नीतीश इसे लेकर खुद सदस्यों को अहम निर्देश दे सकते हैं. 

गौतलब है कि बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र सिर्फ पांच दिनों तक चलेगा. इसे लेकर भी विपक्ष ने सवाल उठाये हैं. सत्र की अवधि कम होने को विधायी कामकाज के लिए अनुचित करार देते हुए विपक्ष ने पहले ही नीतीश सरकार पर सवाल उठाया है. हालांकि सरकार की ओर से मात्र पांच दिनों के सत्र होने का बचाव किया गया है और इसे राज्य के लिए पार्यप्त बताया गया है.

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