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शर्मनाक! सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में CM नीतीश की पिट गई भद्द!... ज्वाइनिंग नहीं हुई तो फिर नियुक्ति-पत्र लेते समय पूरी पुलिस वर्दी में कैसे दिखे अभ्यर्थी ?

शर्मनाक! सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में CM नीतीश की पिट गई भद्द!... ज्वाइनिंग नहीं हुई तो फिर नियुक्ति-पत्र लेते समय पूरी पुलिस वर्दी में कैसे दिखे अभ्यर्थी ?

पटना. बिहार में नियुक्ति पत्र पर सियासी सरगर्मी तेज हो गयी है। एक तरफ नीतीश सरकार पुरानी बहाली का नियुक्ति पत्र बांटकर पीठ थपथपा रही है और सूबे में नौकरी की बयार बहाने का दावा कर रही है, वहीं विपक्ष इस पर हमलावर है। इस पर बीजेपी के बड़े नेता एक के बाद एक हमला बोल रहे हैं। अब भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने नियुक्ति पत्र पर नीतीश सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार के समय उर्दू शिक्षक से लेकर दरोगा-सिपाही तक जिन 10 हजार से ज्यादा लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, उन्हीं को दोबारा नियुक्ति पत्र बांटने की बाजीगरी से नीतीश कुमार बेरोजगारों की आंख में धूल झोंक रहे हैं।

सुशील मोदी ने कहा कि गाँधी मैदान में कभी गिलास से रुमाल और खाली बर्तन से कबूतर निकालने की बाजीगरी दिखाने वाले मजमा लगाते थे, आज वहीं नीतीश कुमार फूंक मार कर हजारों नियुक्ति पत्र निकाल दे रहे हैं। सुशील मोदी ने कहा कि बुधवार को जिन 10,459 लोगों को दारोगा-सिपाही के पद पर नियुक्ति पत्र दिये गए, उन्हें एक साल पहले जनवरी में ही संबंधित जोन के एसपी-डीआइजी नियुक्ति पत्र दे चुके हैं और उनका प्रशिक्षण भी चल रहा है। इन नियुक्तियों के लिए विज्ञापन 2019 में प्रकाशित हुआ था।

उन्होंने कहा कि पुलिस सेवा के लोग जब बिना प्रशिक्षण पूरा किये पूरी वर्दी नहीं पहन सकते, तब नियुक्ति पत्र लेते समय वे वर्दी में कैसे दिखे? यह  पहली बार हुआ। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अब यूपीए  सरकार के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन सारा लोकलाज छोड़ कर वे पिछली एनडीए सरकार के समय हुई नियुक्तियों की चिट्ठी बांट रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव को उन नियुक्तियों के पत्र बांट कर श्रेय लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं, जिनकी प्रक्रिया 9 अगस्त को सरकार बदलने से पहले  शुरू हो चुकी थी।

सुशील मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट में पहले दस्तखत से 10 लाख युवाओं को "स्थायी नौकरी" देने का जो वादा किया गया था, उसका समय तो अभी तक शुरू ही नहीं हुआ। क्या वे कैबिनेट की सौ बैठकों के बाद गिनती शुरू करेंगे? 

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