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नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट से खुली पोल, नहीं दिए गए 87947 करोड़ के उपयोगिता प्रणाण पत्र, अधिकारियों की लापरवाही आई सामने

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की  रिपोर्ट से खुली पोल, नहीं दिए गए 87947 करोड़ के उपयोगिता प्रणाण पत्र, अधिकारियों की लापरवाही आई सामने

पटना-  नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की  रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ है. नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की  रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य सरकार के की विभागों ने 87947 करोड़ रूपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया है. रिपोर्ट के अनुसार पैसा तो विभागों के द्वारा खर्च कर दिया गया लेकिन इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं कराया गया.  गुरूवार को सीएजी के रिपोर्ट  को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने  विधानसभा के पटल पर रखा. रिपोर्ट के अनुसार सरकार को  वित्तीय वर्ष 2021- 22 में कुल जमा 1.98 लाख करोड़ रूपये प्राप्त हुआ. 

वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कैग ने 31 मार्च 2023 तक 87947.8 करोड़ के 41755 उपयोगिता प्रमाण नहीं मिलने की बात भी कही है.महालेखा परीक्षक ने रिपोर्ट में कहा गया है कि  31 मार्च 2023 तक 7489.05 करोड़ के 27392 एसी बिल डीसी बिल जमा करने के लिए लंबित है. जिसमें से 6450.17 करोड़ के 26574 एसी बिल 2021-22 के अवधि से संबंधित है. कैग ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मार्च 2022 तक 55840.32 करोड़ राजस्व संग्रहण होना था, लेकिन केवल 38838.88 करोड़ राजस्व का ही संग्रहण हुआ.

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि पावर सिस्टम डेवलपमेंट फंड दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड को 97.54 करोड़ के अनुदान की हानि हुई है.

लेखा परीक्षा में 1059 मामलों में कुल 25001 करोड़ के राजस्व की हानि का पता लगाया है. संबंधित विभागों ने 336 मामलों में 28.80 करोड़ के गलतियों को स्वीकार किया है. महालेखा परीक्षक ने  अक्टूबर 2020 से जून 2022 के दौरान निष्पादित 8 दस्तावेजों में भूमि के अल्प मूल्यांकन का पता लगाने में विफल रहने की बात कही है, जिसके फलस्वरुप 1.25 करोड़ के मुद्रांक शुल्क और निबंधित फीस की कम वसूली हुई.

प्रदेश सरकार नें स्त्रोत से कुल जमा  38883 करोड़ रूपये  जो कुल राशि का 24.46 प्रतिशत हैं.जिसमें राज्य सरकार ने अपने स्रोत से 38838 करोड़ जो 24 .46 फीसदी है. इसमें केंद्र सरकार से प्राप्ति का हिस्सा 1.19 लाख करोड़ जो कि 75.54 फीसदी है.31 मार्च, 2022 तक विभिन्न क्षेत्रों में राजस्व बकाया 4022 करोड़ है., जिसमें 1300 करोड़ पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित है. सीएजी ने 1059 मामलों की जांच में कुल 25001.46 करोड़ राजस्व नुकसान का आकलन किया है .  

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की  रिपोर्ट से पता चला है कि  राज्य सरकार साल दर साल अपना बजट को बढ़ाती तो हैं लेकिन सूबे की सरकार अपना कुल बजट नहीं खर्च कर पाती है .  नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की  रिपोर्ट से ये भी खुलास हुआ है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल बजट को सिर्फ 78 प्रतिशत राशि  ही खर्च कर सकी है. यानी 22 फीसदी पैसा सरकार ने खर्च नहीं किया है.


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