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केके पाठक को भाजपा का एजेंट बताने पर लेफ्ट विधायकों पर भड़के पूर्व मंत्री, दी चुनौती - हिम्मत तो सरकार से खत्म करें अपना रिश्ता

केके पाठक  को भाजपा का एजेंट बताने पर लेफ्ट विधायकों पर भड़के पूर्व मंत्री, दी चुनौती - हिम्मत तो सरकार से खत्म करें अपना रिश्ता

PATNA : बिहार में शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक को लेकर बिहार के माननीय दो हिस्से में बंटे हुए हैं। जिनमें कुछ उनके काम का समर्थन करते हैं। वहीं एक धड़ा उनके विरोध में है। जो केके पाठक को भाजपा का एजेंट बताते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में केके पाठक को लेकर लग रहे आरोपों को लेकर भाजपा के पूर्व मंत्री जीवेश मिश्रा ने जवाब दिया है। 

उन्होंने कहा कि केके पाठक का सबसे ज्यादा विरोध वाम दलों के विधायकों द्वारा किया जा रहा है। जबकि वह खुद सरकार में साझीदार है। अगर उन्हें लगता है  कि केके पाठक भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं, तो सरकार उनकी है, वह उन्हें पद से हटाने के लिए नीतीश कुमार से मांग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मान रही है तो गठबंधन से अलग हो जाएं। लेकिन माले विधायकों में इतनी मर्दानगी नहीं है कि वह ऐसा कर सकें। एक तरफ वह दिखावे के लिए केके पाठक का विरोध कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ सरकार के साथ गलबहियां भी करते दिखते हैं। आखिर ऐसी सरकार में रहने का क्या फायदा है, जहां वह अपनी एक मांग नहीं मनवा सकते हैं।

सरकारी स्कूलों से नाम काटने को बताया गलत

एक दिन पहले पटना के एक सरकारी स्कूल में छात्रों को पढ़ाने पहुंचे जीवेश मिश्रा ने कहा कि शिक्षा विभाग की गलत नीतियों के कारण आज बिहार के स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो गई है। छात्र नहीं है, जबकि शिक्षक भरे हुए हैं। जीवेश मिश्रा ने 24 लाख शिक्षकों के नाम काटे जाने को गलत बताते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे, तो इसके लिए अलग तरीके से काम करना चाहिए था। उदाहरण के तौर पर हर माह शनिवार को स्कूल में पैरेंटस टीचर मीटिंग रख सकते हैं। जहां पैरेंट्स से सारी बात बताई जाती। साथ ही पैरेंट्स भी इस मीटिंग को लेकर गंभीर रहें। अगर इसके बाद सुधार नहीं होता तो नाम  काटने का फैसला लिया जाता।

स्कूल टाइमिंग पर निशाना

पूर्व श्रम मंत्री ने स्कूलों में टीचरों के टाइमिंग को लेकर शिक्षा विभाग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एक स्कूल की महिला हेडमास्टर सिर्फ इसलिए अपने घर जाने की जगह स्कूल में ठंड में सोने को मजबूर हुई क्योंकि उसे स्कूल खत्म होने के बाद हर दिन वीडियो कांफ्रेंस में हिस्सा लेना है। जिसके कारण स्कूल से निकलने में अंधेरा हो जा रहा है। यह सही नहीं है। खास तौर पर ठंड को लेकर शिक्षा विभाग को स्कूलों की टाइमिंग में बदलाव करने की जरुरत है।


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