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मुंगेर में नीतीश के स्वजातीय कुर्मी ही बन गए चुनौती? ललन सिंह लगातार साध रहे समीकरण..अशोक महतो राजनीति का नौसिखुआ,लड़ाई में कौन आगे..

मुंगेर में नीतीश के स्वजातीय कुर्मी ही बन गए चुनौती? ललन सिंह लगातार साध रहे समीकरण..अशोक महतो राजनीति का नौसिखुआ,लड़ाई में कौन आगे..

MUNGER : लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में बिहार में जिन पांच सीटों पर सोमवार को वोटिंग होनी है, उनमें एक सीट मुंगेर भी शामिल है। जिस पर न सिर्फ एनडीए, बल्कि महागठबंधन की भी नजर है। इसका मुख्य कारण है यहां दोनों तरफ से चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी। एनडीए की  तरफ से जदयू ने यहां अपने पूर्व अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को उतारा है। जो कि वर्तमान में भी यहां के सांसद हैं। वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन की तरफ राजद ने अनीता देवी को मौका दिया है। इन दोनों के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है।

जातीय समीकरण करेगा बड़ा असर

पिछले लोकसभा चुनाव में ललन सिंह को आसान जीत मिली थी। इसका बड़ा कारण यहां जातीय समीकरण का उनके पक्ष में होना था। ललन सिंह कुर्मी जाति से आते हैं। ऐसे में उन्हें इस समाज का समर्थन मिलता रहा है। लेकिन, इस बार स्थिति बदली हुई है। यहां राजद प्रत्याशी अनीता देवी धानुक समाज से आती हैं। जिनका बड़ा वोट बैंक हैं। वहीं उनके पति अशोक महतो कुर्मी जाति से आते हैं। ऐसे में अनीता देवी को दोनों जातियों का समर्थन मिल सकता है।

हालांकि ऐसा भी नहीं है कि दो प्रमुख जातियों के कारण ललन सिंह चुनाव में पिछड़ जाएंगे कई ऐसे समीकरण हैं. जिनमें वह अनिता देवी से आगे नजर आते हैं। राजनीति में अशोक महतो और अनिता देवी में पूरी तरह नौसिखुआ हैं। जो उन्हें यहां कमजोर साबित करता है। वहीं अशोक महतो की अपराधिक छवि भी बड़ा नुकसान कर सकती है। जबकि दूसरी तरफ ललन सिंह को  नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार के साथ अब अनंत सिंह का भी पूरा समर्थन मिल चुका है। पीएम मोदी  खुद उनके लिए सभा कर चुके हैं. 

एनडीए ने बनाई है पूरी प्लानिंग

अनिता देवी के कुर्मी-धानुक की जुगलबंदी सामने आते ही एनडीए ने इसे तोड़ने की प्लानिंग शुरू कर दी थी। इसलिए उसने यहां अपने जनाधार को मजबूत रखने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी है। बीजेपी के भी प्रमुख ओबीसी चेहरे जैसे कि शंभु शरण पटेल और जेडीयू के हरीश सहनी, मदन सहनी, रामप्रीत मंडल और दामोदर राउत जैसे नेताओं ने मुंगेर क्षेत्र में दिन-रात अभियान चलाया है, ताकि एनडीए के जनाधार को हिलने से रोका जा सके। 

अति-पिछड़ों को गोलबंद करने के लिए भी करना पड़ा संघर्ष

जेडीयू और नीतीश का बहुत बड़ा वोट बैंक अति-पिछड़े (एमबीसी) हैं, जिनके लिए एमएलसी नीरज कुमार को मोकामा में तैनात किया गया। उन्होंने क्षेत्र की महिला एमबीसी वोटरों को समझाने-बुझाने में काफी काम किया है, जिनमें से कुछ इस बात की शिकायतें कर रही थीं कि उन्हें नल-जल योजना का लाभ नहीं मिला है। जदयू नेता ने मौके पर ही अधिकारियों से बात करके उन महिलाओं की समस्या के सामाधान के लिए कहा। उन्होंने महिला वोटरों को बताया,'अब एमबीसी के लोग पंचायती और स्थानीय निकायों के विभिन्न पदों पर चुने जाते हैं। नीतीश सरकार में आपका विशेष स्थान है।'

अनंत सिंह का सपोर्ट करेगा असर

कुछ दिन पहले ही पैरोल  पर जेल से बाहर आए मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह कई मौके पर ललन सिंह के समर्थन की बात कर चुके हैं। मोकामा क्षेत्र में उनका विश्वसनीय वोट बैंक है, जो सिर्फ कहने पर ही अपना वोट ललन सिंह के पक्ष में दे सकता है। साथ ही अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी भी अब राजद छोड़कर जेडीयू को मजबूत करने में जुटी हैं।

नीतीश का निजी सियासी वास्ता

अभी मुंगेर लोकसभा सीट के दायरे में आने वाली बाढ़ और मोकामा विधानसभा पुराने बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं, जहां से नीतीश 5 बार सांसद रह चुके हैं। पहले बाढ़ लोकसभा सीट में ही उनकी हरनौत विधानसभा भी आती थी, जो उनका गृह क्षेत्र भी है और वहां का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। 

 मुंगेर लोकसभा सीट पर सिर्फ जदयू के दिग्गज राजीव रंजन उर्फ ललन की अपनी प्रतिष्ठा ही दांव पर नहीं लगी है, यहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी लोकप्रियता का पैमाना भी तय होने वाला है। कुर्मी जाति और अति-पिछड़े वोटरों में नीतीश कुमार की लोकप्रियता कितनी है, मुंगेर में इसका भी उत्तर मिलने वाला है।




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