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मानक के विपरीत क्लास रूम निर्माण कर फंस गए हेडमास्टर और विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष, अब अपनी जेब से भरना होगा पैसा, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

मानक के विपरीत क्लास रूम निर्माण कर फंस गए हेडमास्टर और विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष, अब अपनी जेब से भरना होगा पैसा,  हाईकोर्ट ने दिया आदेश

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने मानक को नजरअंदाज कर क्लास रूम का निर्माण किये जाने पर खर्च किये गये सरकारी राशि की वसूली करने का आदेश  राज्य सरकार को दिया है।कोर्ट ने स्कूल के हेडमास्टर मुकेश कुमार पंडित सहित विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष कौशल्या देवी और सचिव लाली देवी की ओर से दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया।

जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा ने प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टर सहित विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष व सचिव को पैसा वसूली मामले में राहत देने से इंकार कर दिया।साथ ही क्लास रूम के निर्माण के माप पुस्तिका को सहायक अभियंता नीलोत्पल बिपिन और कनिष्ठ अभियंता चितरंजन कुमार और प्रेम कुमार की ओर से प्रमाणित/हस्ताक्षरित किया जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इन अधिकारियों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया।कहा कि यदि पहले से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई करें। कोर्ट को बताया गया कि समस्तीपुर के डीईओ ने 28 जून 2014 को पत्र जारी कर तीनों आवेदकों को पन्द्रह दिनों के भीतर अपनी जेब से विद्यालय शिक्षा समिति के खाता में 3 लाख 86 हजार 5 सौ 63 रुपया जमा करने का आदेश निर्गत किया।इस आदेश को हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी गई।

 विद्यालय परिसर में निर्मित विद्यालय भवन की गहराई 11 फीट 6 इंच के स्थान पर मात्र 4 फीट की गई। निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत की गई और निर्माण कार्य को लेकर आवेदकों और  शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक के  बीच एक समझौता किया गया। सुनील कुमार वर्मा तकनीकी पर्यवेक्षक को निर्माण कार्य के तकनीकी पर्यवेक्षण का कर्तव्य सौंपा गया।निर्माण कार्य का  निरीक्षण किया गया तथा पाया गया कि निर्माणाधीन भवन की पाइलिंग की गहराई 11 फीट 6 इंच के जगह मात्र 4 फीट ही की गई। 

जांच अधिकारी ने पाया कि क्लास रूम उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं है और किसी भी समय गिर सकती है।निर्मित क्लास रूम को ध्वस्त कर और जिम्मेदार व्यक्तियों से सरकारी राशि की वसूली करने का अनुशंसा की गई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि डीईओ के आदेश में कोई खामी नहीं हैं और आवेदकों से कानून के अनुसार राशि की वसूली की जानी चाहिए।कोर्ट ने कहा कि यह बहुत परेशान करने वाले बात है कि छात्रों को शिक्षा देने के लिए निर्माणाधीन क्लास रूम के निर्माण में मिलीभगत कर धन राशि का दुरुपयोग किया गया।कोर्ट ने अर्जी को खारिज कर दिया।

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