बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

विधानसभा उपचुनाव में दलबदलू नेताओं को जनता ने सिखाया सबक, अब सियासी भविष्य पर लग गया ग्रहण, राजद-भाजपा में जाकर पछताए

विधानसभा उपचुनाव में दलबदलू नेताओं को जनता ने सिखाया सबक, अब सियासी भविष्य पर लग गया ग्रहण, राजद-भाजपा में जाकर पछताए

पटना. 'चौबे चले छब्बे बनने, दुबे बनके लौटे'. कुछ यही हाल विधानसभा उपचुनाव के नतीजों में देखने को मिला है. दल-बदलू नेताओं को जनता ने ऐसा सबक सिखाया है कि अब उनके सियासी भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है. बिहार का रुपौली विधानसभा उपचुनाव हो या कई अन्य सीटें तमाम जगहों पर जनता ने सुविधा की राजनीति करने वाले नेताओं को जोरदार पटखनी दी है. देश के 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर आये चुनाव परिणाम में 5 दल-बदलू नेताओं को बड़ा झटका लगा है. इसमें रुपौली से राजद प्रत्याशी रही बीमा भारती भी शामिल हैं. 

बीमा भारती ने वर्ष 2000 में पहली बार रुपौली से चुनाव जीता था. उसके बाद वह पांच बार रुपौली से चुनाव जीतने में सफल रही.  विधानसभा चुनाव 2020 में भी बीमा ने रुपौली में बड़ी जीत हासिल की थी. लेकिन इसी वर्ष बिहार में हुए सियासी उलटपुलट के दौरान बीमा ने जदयू छोड़कर राजद का लालटेन थाम लिया. उनका यह फैसला अब उपचुनाव में भारी पड़ गया. रुपौली में जहां निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जीत हासिल की वहीं दूसरे नंबर पर जदयू के कलाधर मंडल रहे. इन दोनों के मुकाबले बीमा भारती राजद प्रत्याशी के रूप में तीसरे नंबर पर चली गई. न सिर्फ तीसरे नंबर पर रही बल्कि जीतने वाले शंकर सिंह के मुकाबले आधा वोट भी नहीं ला पाए. 

बीमा भारती को इसके पहले पूर्णिया संसदीय सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. राजद ने पूर्णिया से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन पूर्णिया में निर्दलीय पप्पू यादव ने जीत हासिल की जबकि दूसरे नंबर पर जदयू के संतोष कुशवाहा रहा. वहां भी बीमा भारती बुरी तरह हारी और तीसरे नंबर पर रही. अब फिर से रुपौली में बीमा की वही दुर्गति हुई है. ऐसे में बीमा भारती अपनी राजनीति को परवान चढ़ाने के मकसद से जदयू छोड़कर राजद में गई थी लेकिन उन्हें 'न माया मिली न राम' और अब बीमा का सियासी भविष्य ही अधर में लटक गया है. 

भाजपा में गए सबकुछ लुटाए : यही हाल हिमाचल प्रदेश के देहरा से भाजपा उम्मीदवार रहे होशियार सिंह का हुआ. पिछले हिमाचल विधानसभ चुनाव में होशियार सिंह ने निर्दलीय चुनाव जीता था. लेकिन इसी वर्ष उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा. लेकिन अब उपचुनाव में होशियार की सारी होशियारी जनता ने हवा कर दी. उन्हें कांग्रेस की कमलेश ठाकुर से करीब 10 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा. हिमाचल प्रदेश के नालगढ़ से निर्दलीय चुनाव जीते केएल ठाकुर भी भाजपा में गए थे लेकिन अब उपचुनाव में उन्हें कांग्रेस ने हरदीप सिंह बावा से हारना का सामना करना पड़ा. होशियार और केएल ठाकुर का भाजपा के साथ जाना उनके लिए बड़े नुकसान का सौदा साबित हुआ. 

उत्तराखंड में बद्रीनाथ सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राजेंद्र सिंह भंडारी ने जीत हासिल की थी. लेकिन इसी वर्ष राजेंद्र सिंह भंडारी ने कांग्रेस को झटका दिया और भाजपा को समर्थन कर दिया. उपचुनाव में राजेंद्र सिंह भंडारी को भाजपा ने टिकट दिया लेकिन जनता ने भंडारी और भाजपा दोनों को सबक सिखाया. कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने बद्रीनाथ सीट पर जीत हासिल की. 

पंजाब के जलांधर पश्चिम सीट पर आम आदमी पार्टी के मोहिन्दर भगत ने जीत हासिल की है. पिछले चुनाव में शीतल अंगुराल पहले इस सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक थे. उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिस कारण जालंधर पश्चिम सीट पर उपचुनाव की नौबत आई. लेकिन वह बीजेपी के पक्ष में वोट ट्रांसफर कराने में विफल रहे. जनता ने दल-बदलू शीतल अंगुराल को पटखनी देकर खासा सबक सिखाया. 

Suggested News