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लोकसभा चुनाव 2024 : मुसलमानों के मन में क्या है ? इस बार किसके साथ है मुस्लिम समुदाय, क्या इस चुनाव में बदलेगा समीकरण?

लोकसभा चुनाव 2024 : मुसलमानों के मन में क्या है ? इस बार किसके साथ है मुस्लिम समुदाय, क्या इस चुनाव में बदलेगा समीकरण?

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पीएम मोदी ने  मुस्लिम तबके को लेकर कहा कि 'मैं मुस्लिम समुदाय से आत्ममंथन करने को कह रहा हूं'. उन्होंने कहा कि वो धर्म के आधार पर वोट बैंक के खेल के खिलाफ हैं. सरकार की योजनाओं का लाभ सभी को मिलता है, उसमें धर्म या समाज नहीं देखा जाता. पीएम मोदी की एंटी मुस्लिम छवि पर उन्होंने कहा कि वो न इस्लाम के विरोधी हैं न ही मुसलमान विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने से ये नेरेटिव बना हुआ है. हमको मुसलमानों का दुश्मन बाकर को कुछ लोग अपने आप को मुसलमानों का दोस्त बताने लगते हैं. ऐसे में उन्हें कुछ किए बिना ही मुफ्त में फायदा मिलता है और वो भय का वातावरण बनाकर फायदे की दुकान चलाते रहते हैं. 

पीएम मोदी ने कहा कि अब ऐसा करने वालों के झूठ पकड़े जाने लगे हैं और अब भ्रम फैलाने वालों को बिना सिर पैर के झूठ बोलने पड़ रहे हैं. उन्होंने मुसलमान समाज के लोगों को समझदार बताया और साथ ही ये अपील भी की कि मुस्लिम समाज के पढ़े लिखे लोग आत्ममंथन करें. सोचें कि देश आगे बढ़ रहा है और आपके समाज को कमी महसूस होती है तो इसकी वजह क्या है. पीएम मोदी ने कहा कि सरकार की योजनाओं का फायदा मुस्लिम समाज को कांग्रेस के जमाने में क्यों नहीं मिला? क्या कांग्रेस के कालखंड में मुस्लिम समाज दुर्दशा का शिकार हुआ? इसपर मुस्लिम समाज को आत्ममंथन करना होगा. 

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि सत्ता पर हम बिठाएंगे, हम उतारेंगे, जैसी बातों में अपने बच्चों का भविष्य खराब नहीं करना चाहिए. उन्होंने दुनिया भर में मुस्लिम समाज में आ रहे बदलाव का उदाहरण दिया और कहा कि गल्फ के देशों में लोग उनसे मिलते हैं और योग पर बातचीत करते हैं, लेकिन भारत में योग को हिंदू-मुसलमान बना दिया जाता है. इसी के साथ पीएम मोदी ने कहा, 'मैं मुसलमान समाज से आग्रह पूर्वक कहता हूं कि कम से कम अपने बच्चों की जिंदगी का तो सोचो, अपने भविष्य का तो सोचो. मैं नहीं चाहता कि कोई समाज बंधुआ मजदूर की तरह जिये.' 

लोकसभा चुनाव की रैलियों और भाषणों में एक शब्द जो सबसे ज्यादा गूंज रहा है वह है मुस्लिम और अल्पसंख्यक.  पीएम के बयान के बाद इसके बाद आरोप और प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ा. कांग्रेस ने पीएम पर अपने घोषणापत्र को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। हालांकि, बाद में पीएम ने कहा कि वह हिंदू मुसलमान की राजनीति नहीं करते हैं. चुनाव में मुस्लिम समुदाय पर सबकी नजरें लगी हुई हैं कि इस बार क्या उसका चुनावी पैटर्न क्या होगा? क्या मुसलमान एक यूनिफाइड सेकुलर पैटर्न पर वोटिंग करेंगे? माना जाता है कि 543 सीटों में से 86 सीटों पर अल्पसंख्यकों का प्रभाव है। ऐसी सीटें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में ज्यादा हैं.

टिकट बंटवारे में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व पहले से कम हुआ है। इस बार इंडी गठबंदन  के कुल 78 मुस्लिम उम्मीदवार ही मैदान में हैं, जबकि पिछली बार यह संख्या 115 थी।.उनमें से 26 जीतकर लोकसभा भी पहुंचे थे.

मुस्लिम समुदाय को टिकट बंटवारे को देखें तो सबसे ज्यादा 35 उम्मीदवार बसपा ने खड़े किए हैं. इसके बाद 19 उम्मीदवारों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर पर है. तीसरे नंबर पर टीएमसी है.  राजनीतिक पंडितों के अनुसार  फिलहाल 30 फिसदी मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस, सीपीएम  और मुस्लिम सेकुलर फ्रंट जैसे दलों में बिखरा है. जिस तरह से टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी सीएए के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ प्रचार कर रही हैं ऐसे में यह समुदाय तृणमूल के खाते में चला गया तो भाजपा को दिक्कत हो सकती है.भाजपा मुस्लिम समुदाय के 15 फीसदी वोट को लक्ष्य बना कर चल रही है और इसके लिए बीते कुछ समय में पसमांदा मुसलमानों को लेकर पार्टी का खास फोकस रहा है.  मुस्लिम में 57 फीसदी पसमांदा मुसलमान हैं. भाजपा  की ओर से आक्रामक तौर पर चलाई गई मोदी मित्र योजना भी इसी सिलसिले की एक कड़ी रही है. 

एक मुस्लिम नेता का कहना है कि मुस्लिम मतदाताओं ने हमेशा धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को वोट दिया है. आज भी मुस्लिम मतदाता उसी को वोट देंगे जो सभी के हित के लिए काम करेगा. हमलोग धर्म की राजनीति नहीं करते हैं. हम ऐसा प्रतिनिधि चाहते हैं जो संसद में हमारी आवाज़ उठा सके."

केंद्र सरकार पिछले दस सालों में जिस तरह से चल रही थी और उसका लक्ष्य और नीतियां क्या थीं, यह एक अलग मुद्दा है. लेकिन पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, गोमांस मामले पर मॉब लिंचिंग और बुलडोज़र नीति वाली पृष्ठभूमि में महाविकास अघाड़ी सरकार आई और मुस्लिम समुदाय को राहत मिली थी."  पहले शिवसेना को मुस्लिम वोट भी नहीं मिल रहे थे. इस बार शायद उन्हें समर्थन मिले, ये कहना है राजनीतिक विश्लेषकों को..

साल 2019 में मुस्लिम मतदाताओं में बिखराव हुआ था तो हिन्दू वोटर्स ने गोलबंद होकर भाजपा को वोट दिया था. अब देखना होगा इस चुनाव में मुस्लिम किसका साथ देते हैं.



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