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सावन में नई सियासी जंग! बिहार में लागू हो यूपी का फार्मूला, भाजपा विधायक की मांग से बढ़ेगी सीएम नीतीश की टेंशन

सावन में नई सियासी जंग! बिहार में लागू हो यूपी का फार्मूला, भाजपा विधायक की मांग से बढ़ेगी सीएम नीतीश की टेंशन

पटना. सावन शुरू होने के पहले बिहार की सियासत में संग्राम के आसार दिखने लगे हैं. सावन की शुरुआत के पहले ही भाजपा के एक विधायक ने बिहार में उत्तर प्रदेश वाला फार्मूला लागू करने की मांग की है. माना जा रहा है कि इस मांग से सीएम नीतीश की टेंशन बढ़ेगी. साथ ही भाजपा विधायक की यह मांग बिहार में एनडीए में तकरार बढ़ाने का कारण बन सकता है. सावन में बड़े पैमाने पर शिव भक्तों द्वारा कांवर लेकर शिव मंदिरों तक यात्रा की जाती है. बिहार में सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर तक की प्रसिद्ध यात्रा में हर साल सावन महीने में रोजाना लाखों लोग जलाभिषेक करते हैं. लेकिन इसी कांवर यात्रा को लेकर भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने यूपी का फार्मूला बिहार में लागू करने की मांग की है. 

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावण मास के दौरान कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों के नाम लिखने का आदेश दिया है. इससे भारी विवाद भी हो गया है. एनडीए के ही कई दलों ने भाजपा सरकार के इस फैसले के खुलकर विरोध किया है. इसमें जदयू, लोजपा (रामविलास) जैसे दल भी शामिल हैं जिन्होंने योगी सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है. लेकिन इसी बीच भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने बिहार में भी कांवर यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के नेमप्लेट लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि नाम लिखा होने पर यात्री अपनी इच्छा अनुसार दुकान पर जाएंगे. 

मधुबनी जिले के बिस्फी से विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में ठाकुर ने कहा कि चाहे यूपी हो या बिहार कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों पर मालिकों के नाम लिखा जाना चाहिए. इससे बाद में जो विवाद होते हैं उससे छुटकारा मिल जाएगा. दुकान पर नाम लिखा होने से कांवड़ यात्रियों को पता चल जाएगा कि इसका मालिक कौन है. इससे कोई झंझट नहीं होगी. बचौल की इस मांग से बिहार के सियासी भूचाल मच सकता है. खासकर जदयू की ओर से उनकी इस मांग के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई जा सकती है. 

दरअसल, जदयू ने पहले ही योगी सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है. जदयू के केसी त्यागी ने कहा कि इससे बड़ी यात्रा बिहार में निकलती है, वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है. प्रधानमंत्री की जो व्याख्या है 'सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास' वाली पीएम मोदी की जो भारतीय समाज और एनडीए के बारे व्याख्या है, उसमें ये लगाए गए प्रतिबंध, पीएम मोदी के इस व्याख्या के विरुद्ध हैं. इस नियम पर पुनर्विचार हो तो अच्छा है. हम एनडीए को खुशहाल और मजबूत होते देखना चाहते हैं। पीएम मोदी की कीर्ति कम ना हो, यह चाहते हैं. इसलिए चाहते हैं कि यह नियम वापस हो। इस नियम पर समीक्षा होनी चाहिए.

वहीं लोजपा (रामविलास) भी योगी सरकार के फैसले पर आपत्ति जता चुकी है. लोजपा रामविलास के प्रमुख और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री चिराग पासवान ने भी यूपी सरकार के इस फैसले का विरोध किया और कहा कि जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव का वे समर्थन नहीं करते हैं. लेकिन भाजपा के सहयोगी दलों की इस आपत्ति के बीच अब भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने सीएम नीतीश से ऐसी मांग कर दी है जो बिहार में एनडीए में रार का कारण बन सकता है. 

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