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नीतीश ने बहुमत किया प्राप्त,लेकिन असली खेल फिर हो गया शुरू!..बड़ा इशारा कर दिया मुख्यमंत्री ने...

नीतीश ने बहुमत किया प्राप्त,लेकिन असली खेल फिर हो गया शुरू!..बड़ा इशारा कर दिया मुख्यमंत्री ने...

पटना:   नीतीश कुमार नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं. 2020 से शुरू हुए बिहार विधानसभा के इस कार्यकाल में ही वे तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. मुख्यमंत्री वही रहते हैं, पूरे का पूरा विपक्ष बदल जाता है. कुछ दिन पहले तक भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी थी, अब सत्ता में हैं और राजद सत्ता में थी वो विपक्ष की भूमिका में है.करिश्मा करने के महारथी नीतीश कुमार हीं है. ज्यादा सीटें भाजपा को मिले या राजद को मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही रहे. 

नीतीश सबके हैं

एनडीए से मिलकर सरकार बनने के बाद पटना की सड़के पोस्टरों से पट गईं थीं. पोस्टर्स में लिखा था नीतीश कुमार सबके हैं! जदयू नेता भी कहते हैं नीतीश कुमार सबके हैं. कहने का मतलब है कि नीतीश कुमार चाहे भाजपा के साथ रहें या राजद के साथ हैं वे सबके. कथित तौर पर आज इधर, कल उधर. सोमवार को विधानसभा में इसका संकेत नीतीश ने दिया.अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने कहा कि इधर वाला हमेशा आपका साथ देगा. कहीं इसका मतलब ये तो नहीं है कि वे एनडीए के साथ आ गए हैं, लेकिन राजद से संबंध टूटा नहीं है. नीतीश ने कहा कि अगर कोई समस्या होगी तो बताइयेगा, समाधान करेंगे. नीतीश ने कहा कि चिंता मत कीजिएगा, हम सबका ख्याल रखेंगे.

नीतीश ने राजद को पुराने दिनों की याद दिलाया 

फ्लोर टेस्ट के दौरान सीएम नीतीश ने जैसे ही संबोधन शुरू किया  विपक्षी दल हंगामा करने लगे. इस पर सीएम नीतीश ने कहा कि अगर नहीं सुनना चाहते हैं तो सीधे मतदान करा दिया जाए, हम सबकी बात सुने हैं, हमको 2005 से काम करने का मौका मिला, उससे पहले इनके पिताजी और माताजी को सरकार चलाने का मौका मिला. याद कीजिए कहीं कोई सड़क था क्या? कोई शाम के बाद घर से निकल पाता था क्या? ये मुस्लिम की बात करते हैं, आए दिन हिंदू-मुस्लिम का विवाद होता था. नीतीश ने कहा कि  हमने हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा बंद कराया. 2005 से पहले का इतिहास जानो, जो 15 साल में मुस्लिमों को न्याय नहीं मिला, हमने आने के बाद कार्रवाई की. कितना विकास  हुआ है.

श्रेय की होड़

नीतीश ने  कहा कि 7 निश्चय मेरा आइडिया था, जिसे आपने स्वीकार किया. पहले गड़बड़ नहीं किए, लेकिन कुछ दिन के बाद देखा कि ये लोग ठीक काम नहीं कर रहे हैं, तब हम लोग फिर से वापस इन लोगों का साथ दिया. जब आप लोग साथ में आए तो 7 निश्चय 2 का काम हो रहा था तो आप लोग इसका क्रेडिट लेने में जुट गए. 

नीतीश ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर नियुक्तियां हो रही थी तो शिक्षा के मंत्री कौन थे. जब आप शिक्षा लिए तो हर बार गड़बड़ करते थे. हर बार हम रोक देते थे. इसलिए ये सब बात मत करिए.

नीतीश के लिए न जाने कितने टैग

जो भी हो नीतीश कुमार ने कुर्सी को साध लिया है. नीतीश कुमार को  सुशासन बाबू कहा जाता था. बिहार पर जंगलराज का आरोप लगता था, उसकी तस्वीर 2000 के दशक के बाद से बदलने में नतीश कुमार काफी हद तक कामयाब रहे हैं. लेकिन साल 2013 में नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में उदय के बाद से ही नीतीश कुमार इतने बदले कि अब उन्हें कांग्रेस आया राम गया राम, पलटूराम, गिरगिट, पलटू बाबू और न जाने कितने टैग देती है.वहीं राजद के नेता उन्हें गिरगिट बुलाते हैं. इन सब टैग के बीच, उन्हें करीब 17 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी यथावत बचाकर रखी है. नीतीश के विरोधी उन्हें 'कुर्सी कुमार' भी बुलाते हैं.

बहरहाल बिहार की राजनीति देश के अन्य राज्यों की राजनीति से अलग है. कथित तौर पर यहां मुख्यमंत्री इस्तीफा देते हैं और बदल उपमुख्यमंत्री जाते हैं.

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