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बाल-बाल बची नीतीश सरकार ! विधानसभा में विपक्ष ने फंसा लिया था..वोटिंग होती तो....., स्पीकर ने बड़ी चालाकी से 'मंझधार' से निकाला

बाल-बाल बची नीतीश सरकार ! विधानसभा में विपक्ष ने फंसा लिया था..वोटिंग होती तो....., स्पीकर ने बड़ी चालाकी से 'मंझधार' से निकाला

PATNA:  नीतीश सरकार आज गिरते-गिरते बची. विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने सरकार को फंसा लिया था, विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सरकार को संकट से उबारा. इसके बाद विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे और वोटिंग कराने की मांग को लेकर वेल में पहुंच गए. स्पीकर ने स्थिति को भांपते हुए विपक्षी सदस्यों की मांग को सिरे से खारिज कर दिया. विरोध स्वरूप तमाम विपक्षी सदन से वाक आउट कर गए. इस तरह से विधायकों की गैरहाजिरी से सरकार संकट में आई और स्पीकर की चालाकी से संकट टली. 

बाल-बाल बची नीतीश सरकार ! 

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र का आज अंतिम दिन है. सत्र के समापन से पहले विधानसभा में गैर सरकारी संकल्प लिए जा रहे थे. विधायक गैर सरकारी संकल्प के माध्यम से क्षेत्र की समस्या उठा रहे थे. सरकार जवाब दे रही थी. उत्तर से संतुष्ट होकर विधायक अपना संकल्प वापस ले रहे थे. यह क्रम चल रहा था. इसी बीच विपक्ष के विधायक अजीत कुमार सिंह ने जातीय गणना के बाद बढ़ाये गए आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का संकल्प पढ़ा. सरकार की तरफ से सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी मंत्री विजय चौधरी ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हमलोगों ने काफी पहले ही यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है. पटना हाईकोर्ट ने बढ़ाये गए आरक्षण को रद्द कर दिया है. इसके बाद हमलोग उच्चतम न्यायालय में अपील किए हैं. जब कोर्ट ने उक्त कानून को ही रद्द कर दिया है तो केंद्र सरकार किसे नौवीं अनुसूची में डालेगी. हमें आशा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पक्ष में आयेगा. सरकार के जवाब से प्रश्नकर्ता विधायक अजीत कुमार सिंह संतुष्ट नहीं हुए। 

जब संकल्प को वापस नहीं लिया...

विपक्षी विधायक अजीत कुमार सिंह गैर सरकारी संकल्प को वापस नहीं लेने की जिद पर अड़ गए. स्पीकर ने उन्हें वापस लेने को कहा, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुए. वे वोटिंग की मांग करने लगे. दरअसल, गैर सरकारी संकल्प में ऐसी व्यवस्था है कि अगर कोई सदस्य अपना संकल्प वापस नहीं लेता है तो बहुमत के आधार पर उसे वापस कराया जाता है. विपक्षी विधायक ने सदन की स्थिति को भांप लिया था. जिस समय सदन में यह संकल्प पढ़ा गया, तब सत्ता पक्ष की तरफ विधायकों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी. लिहाजा प्रश्नकर्ता विधायक ने स्पीकर के आदेश को मानने से इंकार कर दिया. स्पीकर भी इस स्थिति को भांप गए। वे भी सत्ता पक्ष के विधायकों की उपस्थिति को अच्छे से देख रहे थे. लिहाजा उन्होंने कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए और विपक्ष को संभलने का मौका मिलने से पहले, ''पक्ष में बहुत है..पक्ष में बहुमत है, संकल्प वापस हुआ''. इस तरह से अजीत कुमार सिंह के गैर सरकारी संकल्प को स्पीकर ने बहुमत से वापस करा दिया.

सत्ता पक्ष में मच गई खलबली....

इसके बाद तो सत्ता पक्ष की तरफ खलबली मच गई। भाजपा के सचेतक जनक सिंह सदन में गैरहाजिर विधायकों की खोज में बाहर निकले. इसके बाद कई विधायक आनन-फानन में वापस सदन में आये. जेडीयू से मंत्री श्रवण कुमार विधायकों की खोज में सदन से बाहर निकले, इस तरह से विधायकों को बुलाने की कोशिश शुरू हुई। इधऱ विपक्षी विधायक स्पीकर से भिड़ते दिखे. वेल में पहुंचकर वोटिंग-वोटिंग की मांग करने लगे. लेकिन स्पीकर ने विपक्षी विधायकों की मांग को सिरे से खारिज कर दिया. विधायकों ने आरोप लगाया कि सदन चलाने में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसे में सदन में भाग लेने से क्या फायदा...नारेबाजी करते हुए सभी विपक्षी सदस्य वाक आउट कर गए। इस तरह से  सत्ता पक्ष के विधायकों की गैरहाजिरी से सरकार पर संकट आ खड़ा हुआ था. क्यों कि अगर गैर सरकारी संकल्प वापस कराने को लेकर वोटिंग हो जाती और प्रस्ताव गिर जाता, ऐसी स्थिति में सरकार अल्पमत में आ जाती. 



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