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कोई भी स्कूल अब तिलक लगाने, मेंहदी लगाने और कलावा पहन के विद्यालय आने पर रोक नहीं सकता, सरकार ने जारी किया आदेश

कोई भी स्कूल अब तिलक लगाने, मेंहदी लगाने और कलावा पहन के विद्यालय आने पर रोक नहीं सकता, सरकार ने जारी किया आदेश

DESK. धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक चिन्ह के साथ स्कूल आने वाले विद्यार्थियों को लेकर एक अहम आदेश जारी किया गया है। केंद्र के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने यह महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।  आयोग ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में आयोग द्वारा विभिन्न समाचार रिपोर्टों के माध्यम से यह देखा गया है बच्चों को स्कूल के शिक्षकों और अन्य लोगों द्वारा उत्पीड़न और भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। खास कर त्यौहारों और उत्सव के कारण कर्मचारी ऐसा करते हैं। 


इसमें कहा गया है कि देखने में आया है कि स्कूल रक्षा बंधन के त्योहार के दौरान स्कूलों में बच्चों को राखी या तिलक या मेहंदी लगाने की अनुमति नहीं देते हैं। ऐसा होने पर उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रताड़ित किया जाता है। आयोग ने इस गहरी आपत्ति जताई है और इसे चिंता माना है । 


आदेश में कहा गया है कि गौरतलब है कि कॉर्पोरल आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 के तहत स्कूलों में सजा निषिद्ध है। इसलिए, संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है कि स्कूल ऐसी कोई प्रथा नहीं अपनाएं जिससे बच्चों को शारीरिक दंड या भेदभाव का सामना करना पड़े। बच्चों को कोई भी स्कूल अब तिलक लगाने, मेंहदी लगाने और कलावा पहन के विद्यालय आने पर रोक नहीं सकता है। साथ ही इसके लिए दण्ड भी नहीं दिया जा सकता है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 30 अगस्त 2023 को यह दिशा निर्देश जारी किया गया था। इसलिए इस दिशा निर्देश को  कड़ाई से अनुपालन कराया जाए। 

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