MUZAFFARPUR : जिले में स्वास्थ्य महकमे में 780 लोगों की नियुक्ति का मामला अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। मामले में बुरी तरह से फंस चुके सिविल सर्जन ने इन नियुक्तियों मे वैशाली सांसद वीणा देवी और उनके पति एमएलसी दिनेश सिंह की बड़ी भूमिका होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों में कुछ लोगों के लिए इन लोगों ने सिफारिश की थी। हालांकि एमएलसी ने इन आरोपों से इनकार कर दिया है।
इससे पहले मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के नाम पर नौटंकी तीसरे दिन भी जारी रही। यहां गुरुवार को डीएम 780 दैनिक स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति को गलत ठहराते उन्हें काम से हटाने का आदेश देते हैं। आदेश के 20 घंटे के अंदर जिले से सिविल सर्जन स्वास्थ्य व्यवस्था खराब होने का हवाला देकर उन्हें फिर से बहाल कर देते हैं। जब इस मामले में विपक्ष सहित मीडिया द्वारा सवाल उठाया जाता है, तो प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की नींट टूटती है। फिर एक नया आदेश जारी हो जाता है, जिसमे सीएस के आदेश को रद्द कर कर्मियों के बहाल करने के आदेश को रद्दी में डाल कर उन्हें फिर से काम से हटा दिया जाता है।
सीएस से मांगा गया जवाब
अब सरकार ने मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी से 48 घंटे में स्पष्टीकरण भी मांगा है। साथ ही जांच दल द्वारा चिन्हित दोषी कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। कार्रवाई की रिपोर्ट सिविल सर्जन से मांगी गई है। मुजफ्फरपुर में बहाल किए गए 780 स्वास्थ्यकर्मियों की बहाली पिछले तीन दिनों में दो बार रद्द की गई। मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन से पूछा है कि धांधली की रिपोर्ट के बावजूद बहाली का आदेश कैसे दे दिया गया। ओएसडी आनंद प्रकाश ने सीएस को पत्र लिखकर कहा है कि डीएम की ओर से 16 जून को स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति में नियमों एवं मानकों का अनुपालन नहीं होने के संबंध में जांच रिपोर्ट भेजी गई है। इसमें कहा गया है कि बहाली में अनियमितताएं बरती गई हैं। लेकिन 18 जून को इन कर्मियों की सेवा 26 जुलाई तक लेने की बात कही गई है।
सांसद ने दिलवाई आठ लोगों को नौकरी
780 कर्मियों की बहाली को मुख्यालय द्वारा रद्द किए जाने के बाद सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने कई राज खोले। शनिवार शाम कि वैशाली सांसद वीणा देवी और उनके पति विधान पार्षद दिनेश सिंह के कहने पर 8 लोगों को नौकरी दी गई। कई अन्य नेता के कहने पर उनके आदमी को भी रखा। बावजूद इसके विधान पार्षद ने जिला परिषद की बैठक में नियोजन पर सवाल उठाया। विधान पार्षद के कहने पर ही डीएम ने जांच कमेटी बनाई। वहीं यह बात भी सामने आई है कि हम के जिलाध्यक्ष शरीफुल हक ने 5 लोगों को रखने का दबाव बनाया था। लेकिन उनके एक भी व्यक्ति का नियोजन नहीं होने पर उन्होंने एक महिला आवेदिका से ऑडियो बनवाया और उसे वायरल करवाया।
एमएलसी ने झाड़ लिया पल्ला
इधर, सिविल सर्जन के आराेप पर दिनेश सिंह ने कहा कि यदि मेरे सिफारिश पर किसी का नियाेजन किया गया है तो वह उन नामों को सार्वजनिक करें। मेरे कहने पर किसी को नौकरी दे सकते हैं तो यह गंभीर अपराध है। ऐसे अधिकारी के खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं हम के जिलाध्यक्ष शरीफुल हक ने कहा कि नियोजन के लिए पैरवी करने का आरोप बिल्कुल गलत है।
इस तरह सुधारेंगे स्वास्थ्य व्यवस्था
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी खराब क्यों है, वह मुजफ्फरपुर में चल रहे नाटक से समझा जा सकता है। यहां जिस तरह से नियुक्ति के नाम पर पैसों का खेल चल रहा है। वह साफ जाहिर करता है कि बिहार सरकार अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने को लेकर इतना गंभीर क्यों है। एक जिले का सिविल सर्जन पहले गलत तरीके से नियुक्ति करता है. जब जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर डीएम नियुक्ति को रद्द करते हैं, तो सीएस इस आदेश को ही दरकिनार कर देते हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था के खराब होने का तर्क देकर उन्हें फिर से नियुक्त कर देते हैं। यहां एक अधिकारी खुद को डीएम और सरकार से भी ऊपर समझने लगता है. तो समझा जा सकता है कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी गर्त में क्यों जा रही है।