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राजद देखती रही, तेजस्वी संग खेला कर गए तीन विधायक... अब लोकसभा चुनाव में राजपूत, भूमिहार और यादव वोटों पर डालेंगे असर

राजद देखती रही, तेजस्वी संग खेला कर गए तीन विधायक... अब लोकसभा चुनाव में राजपूत, भूमिहार और यादव वोटों पर डालेंगे असर

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खेला होने की चुनौती देने वाले राजद नेता तेजस्वी यादव संग सोमवार को खुद खेला हो गया. उनकी पार्टी के तीन विधायक चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव ने तेजस्वी यादव को झटका दे दिया. वे नीतीश कुमार के खेमे में आ गए. नीतीश सरकार के विश्वास मत की अग्नि परीक्षा में नीतीश ने ऐसा शक्ति परीक्षण दिखाया जो राजद की ताकत को कमजोर कर ताकतवर बनने की निशानी रही. बिहार में हुए इस सियासी सर्कस तेजस्वी यादव भी भौचक नजर आए और सदन में बोलते हुए उन्होंने तीनों विधायकों चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव को खूब सुनाया. वहीं नीतीश सरकार के पक्ष में 129 विधायकों का समर्थन मिला और बहुमत साबित करने में सफल रही. 

राजपूत पर चलेगा जादू : वहीं राजनीतिक जानकारों की मानें तो चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव का नीतीश सरकार को समर्थन देना दूरगामी स्तर पर लोकसभा चुनाव में भी बड़े उलटफेर का कारण बन सकता है. लोकसभा चुनाव 2024 में सभी राजनीतिक दल अलग अलग जातियों को साधने में लगी है. ऐसे में शिवहर से विधायक और  राजपूत जाति से आने वाले चेतन आनंद इस जाति में एनडीए के लिए खेला कर सकते हैं. चेतन के पिता आनंद मोहन वर्ष 1990 के दशक से ही राजपूत जाति को गोलबंद करने के लिए जाने जाते रहे हैं. उनकी राजपूतों के एक बड़े नेता के रूप में पहचान रही है. अब चेतन आनंद के एनडीए को समर्थन करने से आनंद मोहन राजपूतों के बीच और ज्यादा बड़े स्तर पर एनडीए के लिए पैठ बनाते दिख सकते हैं. 

नीलम-अनंत दिलाएंगे भूमिहार वोट : भूमिहार जाति से आने वाली नीलम देवी मोकामा से विधायक हैं. उनके पति बाहुबली अनंत सिंह को घर से एके 47 मिलने के बाद कोर्ट ने 10 साल जेल की सजा सुनाई थी और वे जेल में हैं. अब नीतीश कुमार का समर्थन करने से नीलम देवी का भूमिहार जाति पर जो पकड़ है उसका असर लोकसभा चुनाव में पड़ सकता है. नीलम के पति अनंत सिंह को भूमिहार जाति के कद्दावर नेता के तौर पर जाना जाता है. वे 2005 से विधायक रहे और 2022 में उनकी पत्नी ने उप चुनाव जीता. कई मौकों पर भूमिहार जाति के मुद्दे पर अनंत मुखर होते रहे. अब एनडीए भी उनके नाम से भूमिहार जाति को लुभाने की कोशिश करेगी. इससे करीब एक दर्जन लोकसभा सीटों पर इसका असर पड़ सकता है. 

लालू को प्रहलाद यादव का झटका : तेजस्वी को सबसे बड़ा झटका उनके स्वजातीय विधायक प्रहलाद यादव से लगा है. सूर्यगढ़ा से तीन बार के विधायक प्रहलाद उस समय से राजद में जब लालू यादव ने इस दल की स्थापना की थी. यानी वे संस्थापक सदस्य थे. अब नीतीश कुमार के समर्थन में आकर प्रहलाद के बहाने एनडीए यह संदेश देना चाहती है कि यादव जाति के नेता तेजी से लालू से अलग हो रहे हैं. प्रहलाद अब आगामी लोकसभा चुनाव में एक ऐसे चेहरे के रूप में हो सकते हैं जिनका इस्तेमाल कर एनडीए यादवों को अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी. बिहार में सबसे ज्यादा संख्या भी यादव जाति की है. अब प्रहलाद को लालू यादव के सामने एक चेहरे के रूप में एनडीए पेश कर सकती है. 


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