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एक जैसे आरोप, लेकिन सिर्फ सुनील कुमार की सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा, इस कारण एमएलसी सदस्यता खोने से बच गए डा. कारी सोहैब

एक जैसे आरोप, लेकिन सिर्फ सुनील कुमार की सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा, इस कारण एमएलसी सदस्यता खोने से बच गए डा. कारी सोहैब

PATNA : विधान परिषद सभापति ने आज बड़ी कार्रवाई करते हुए राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई व विधान परिषद में विपक्ष के मुख्य सचेतक डा. सुनील कुमार की एमएलसी सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की गई है। वही इसी मामले में दूसरे एमएलसी डा. कारी सोहेब को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। दोनों एमएलसी को लेकर दिए अलग अलग फैसलों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। 

सदन सत्र के दौरान के मुख्यमंत्री का मिमिक्री कर मजाक उड़ाने के मामले में यह कार्रवाई की गई। यह मामला इसी साल 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान हुआ था। जिसमें भीष्म साहनी की मांग पर जांच समिति बनाई गई थी। इस जांच समिति ने वीडियो की जांच के बाद आरोपों को सही माना। जिसमें दोनों एमएलसी को दोषी माना गया। 

डा. सुनील कुमार ज्यादा जिम्मेदार

समिति ने बताया कि घटना-क्रम के आरोपित दोनों सदस्यों के कृत्य और उसके घनत्व का आकलन किया जाय तो डा०  मो. सोहैब के मुकाबले डा. सुनिल कुमार सिंह का कृत्य अधिक एक गंभीर है। वे बिहार विधान परिषद् में पदधारक सदस्य हैं। 

मुख्य सचेतक होने के बाद उच्च सदन की गरिमा को पहुंचाया आघात

समिति ने बताया है कि विपक्ष के मुख्य सचेतक के नाते डा. सुनील कुमार विधायी जिम्मेदारी नीतियों, नियमों और सदन के संवैधानिक प्राधिकार के प्रति अधिक होनी चाहिए। किंतु अपने आचार और व्यवहार में इन्होंने इसका पालन नहीं किया। सदन में वेल में आकर असंयमित नारेबाजी करने, सदन को बाधित करने, आसन के निदेश की अवमानना करने, सदन-नेता के प्रति मानहानि-कारक अशिष्ट शब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित करने के इनके प्रयास से उच्च सदन की गरिमा को आघात पहुँचा है।

खो चुके हैं सदन में सदस्य बने रहने की  पात्रता

समिति का मानना है कि डा. सुनिल कुमार सिंह ने सदन में अपने असंसदीय आचरण और अमर्यादित व्यवहार से सदन के सदस्य बने रहने की पात्रता खो दी है। बिहार विधान परिषद् की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 290 की कंडिका 10 (घ) के अधीन समिति सर्वसम्मति/बहुमत से अनुशंसा की है।


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